प्राचीन काल से ही मदिरा या शराब व्यसन का पर्याय रहा है | शराब से राजाओं व
जागीरदारों की महफ़िलें सजा करती थी |
ऐसे ही कुछ शराब और गुर्जरों का साथ रहा है | बगडावत कथा में यहाँ तक बताया है
की बगडावतों ने बहुत शराब का सेवन किया और
इतनी शराब का सेवन किया और शराब
को बर्बाद किया , और वही मदिरा धरती से रिसाव कर पाताल लोक तक खुद भगवान के पास पहुँच गई , बतातें हैं कि इस बात से
भयभीत होकर भगवान ने बगडावतों के विनाश के लिये
रानी जैमती को भेजा , जिससे की इनका विनाश हो
जाये |
शराब हमेशा से ही गुर्जरों का शौक रहा है | चम्बल डाकुओं में गुर्जर ही थे
जिन्होंने शराब की शुरुआत की | वरिष्ठ पत्रकार देव श्रीमाली बताते हैं, 'गुर्जरों ने पहली बार
बड़ी संख्या में औरतों को अपने गैंगों में शामिल करना शुरू किया. 70 के दशक तक तो पुराने
डाकू औरत और शराब, दोनों से तौबा करते थे. गुर्जरों ने इस परिपाटी को बदल दिया ' |
आज हम आधुनिक समय की २१ वीं सदी में है और २१ वीं सदी विज्ञान की सदी है |
इस विज्ञान ने
शराब के बहुत ब्रांड दे दिए , देशी , विदेशी , बीअर और बहुत से |
और इसी शराब ने गुर्जर समाज को अपना गुलाम बना लिया है | गाँव-गाँव में दारू के अड्डे हो गये जहाँ महफिले सजती हैं | और शराब को अपनी शान समझते हैं |
देर रात तक मद्द
के नशे में रहना और फिर घर जाकर बीवी बच्चों को परेशान करना आम बात हो गई है |
उपरोक्त विषय में वे मध्यम-गरीब गुर्जर जो गावों में रहते हैं , शरीक होतें हैं |
बड़े शहरों में
रहने वाले गुर्जर भी कम नहीं " बड़ी
आय , बड़े
ठाट और बेटा पांचवी पास " की कहानी है | शाम होते ही महफ़िल सजी , बोतल खुली , मुंह की पोल खुली |
अब बात करतें हैं की ये शराब हमारा कितना नुकसान कर रही है |
बात प्रमाण से से गरीब गाँव वालो की
करते हैं | मेरे पड़ोस में रहने वाला ६५ वर्षीय भला इंसान , लत लग गई शराब की , बाप का लाडला छोड़ दी थी
नौकरी सरकार की |
वो इंसान पिछले ३५ वर्षों से रोजाना शराब पी रहा है ,
जिसके बेटे हुये चार, उनका भी वही व्यवहार |
ज़मीन थी बीगा तीस (12 कीला ) , बेच दी उसमे से बीघा
पच्चीस |
बड़े दोनों बेटे पढ़े कक्षा चार |
करने लगे महफ़िल
अपार |
बचे दोनों छोटे बेटों का यही होगा हाल | क्यों कि बाप पीता हरहाल |
उपरोक्त इन्सान का परिवार तबाह होने के कगार पर है | बेटो की शादी के लाले पड़ गये |
वो तो छोड़ो बुढ़ापे
के टुकड़ों के लाले भी पड़ गये | दुखी कौन-कौन ?
, वो ६०
वर्षीय औरत जो पांच लोगो का खाना बनाये और घर संभाले और रात को उनका झगड़ा निबटाये | बचपन बिगड़ गया उन बच्चों
का जिन्होंने बचपन के खिलोनों की बजाय बाप से कोड़े खाये | और दुखी पड़ोसी जो रोज-रोज उनके झगड़े का निबटारा
करते हैं |
ना जाने ऐसे कितने ही ऐसे गुर्जर
परिवार हैं जो अपनी तबाही के ताबूत तैयार
कर रहे हैं या हो रहे हैं | सोच कर भी सोचते हैं क्या होगा और कैसे इनको समझाया जाये |
कम से कम उन
बच्चों का ख्याल ही करना होगा जिनका कोई कसूर नहीं , भगवान ने उनके नसीब में ऐसा बाप
दिया | शराब
में मदहोस वो बाप अपने परिवार की तबाही देखता है लेकिन कोई उपाय नहीं नहीं कर सकता
क्यों कि वो शराब का गुलाम हो चूका है , उसे कोई फर्क नहीं की उसका परिवार तबाह हो गया |
अब उन परिवारों की बात करते हैं जो उच्च श्रेणी के गुर्जर परिवार हैं |
बाप के पास एक सफारी है बेटे के पास दो सवारी है | पैसा बहुत है , बिज़नस है , प्रॉपर्टी है , दुकानें हैं | लेकिन श्याम होते ही
महफ़िल शराब की | बाप महफ़िल से बेटे को पानी और सोडे का आर्डर करता है | पैसे का जलवा बेटा भी देखता है |
और बेटा भी थोड़े
दिनों बाद वही काम शुरू कर देता है | पढाई कर नहीं सकता , आठवीं कक्षा फ़ैल , बिज़नेस संभाल लेता है |
पैसे की कोई कमी
नहीं |
अब आप सोच रहें होंगें की इसमें को कोई नुकसान वाली बात नहीं है , मैं बोलता हूँ बहुत
नुकसान वाली बात है |
एक अच्छे परिवार में सभी सुख सुविधाओं
के बीच जन्मा बेटा अगर अच्छी शिक्षा नहीं ले पाता है तो ये कितने दुर्भाग्य की बात
है | अगर
एक भी ऐसी गुर्जर प्रतिभा बच गई जो इस कतार से अलग हो गई तो वो ज़रूर अम्बानी ,
टाटा की टक्कर
लेगी , बेसक वो प्रतिभा हो |
दूसरा नुकसान उस बाप ने अपने बेटे को क्या दिया ? , सिर्फ पैसा |
धन कुछ नहीं है , जब तक बेटा संस्कारी गुर्जर नहीं होगा |
हमें ऐसे संस्कार नहीं चाहिए जिसमे समाज ना हो |
हमें ऐसी शिक्षा नहीं चाहिए जिसमें संस्कार ना हो |
हमें ऐसा धन नहीं चाहिए जिसकी कोई इज्जत ना हो |
अतः सभी समाज बंधुओं से निवेदन है कि इस शराब रुपी भूत को अपने माहौल में ना
ढालें |
धन्यवाद्
दयाराम गुर्जर बानसूर (developer)
( नोट: ये आर्टिकल सिर्फ समाज की
सच्चाई को अवगत कराता है ना की किसी व्यक्ति विशेष को | धन्यवाद् )
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