
राजपूतों के इतिहास के बारे में लिखते हुए राणा अलीहसन ने लिखा है कि ये वे लोग थे जो विदेशी तुर्क आक्रांताओं से मिल गए और गुर्जर राजाओं के विरुद्ध षडयंत्र कर सत्ता पर कब्जा कर लिया। जबकि पूर्व काल के क्षत्रिय गुर्जर जरायम पेशा जाति के दर्जे में डाल दिए गए। राणा अली हसन के मुताबिक अयोध्या नरेश दशरथ, श्री कृष्ण की मां यशोदा, पन्ना धाय, विजय ङ्क्षसह पथिक, सरदार बल्लभ भाई पटेल, भारत के राष्टपति स्वर्गीय फखरुद्दीन अली अहमद, पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति श्री फजल इलाही और भारत में केंद्रीय मंत्री रह चुके स्वर्गीय राजेश पायलट इसी गुर्जर जाति से थे।
आर्यों केे विदेशी होने के सिद्धांत का खंडन करते हुए राणा अली हसन ने अपनी पुस्तक में लिखा है कि अफगानिस्तान, बलूचिस्तान, कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, ऊपरी पंजाब, ऊपरी उत्तर प्रदेश तथा हिमालय पर्वत की एक-एक इंच जमीन आर्यों के लिए पवित्र थी। आज भी यह सारा इलाका देवी-देवताओं के तीर्थ स्थानों से भरा पड़ा है। वैदिक युग में पूर्वी उत्तर प्रदेश के वर्तमान में सीतापुर जिले में नैमिषारण्य आर्यों का पवित्र तीर्थ स्थान था। ऋग्वेद में जिस तरह की भूमि का जिक्र हमें मिलता है वह यही उपमहाद्वीप था, जो अब भारत, पाकिस्तान और बंाग्ला देश कहा जाता है।
अपने मत की पुष्टि के लिए वे एक और उदाहरण पेश करते हैं। वे बताते हैं वेद में सुदास और नौ राजाओं के बीच युद्ध का वर्णन है। ये राजा असुर कहलाते थे। राणा अलीहसन के अनुसार ये सभी राजा जो असुर कहलाए दरअसल आर्यों की ही शाखा से थे। कहा जाता है कि आर्यों ने स्थानीय लोगों को अपने अधीन कर लिया। उनके क्षेत्र की विशालता तथा अधिक आबादी की व्यवस्था को सुचारू रूप से करने के लिए उन्होंने अपने को चार वर्णों में बांट दिया- ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य और शूद्र। अधीनस्थ लोगों को शूद्र बनाया तथा स्थानीय विरोधियों को बुरे-बुरे नाम दिए। जैसे- असुर, अनार्य, राक्षस, दस्यु, दैत्य, निषाद तथा दानव। राणा अली हसन इसे गलत बताते हुए अपनी पुस्तक में कहते हैं- धार्मिक पुस्तकों की जानकारी रखने वाले सभी लोग जानते हैं कि अहले ईमान और काफिर, मोमिन व मुनाफिक मुस्लिम और मूर्ति पूजक, फासिख और फाजिर सब एक ही वंश के थे। इसी प्रकार देव, सुर, आर्य और असुर, अनार्य, राक्षस, दास, दस्यु, दैत्य, निषाद व दानव के बीच भी कोई विभाजक रेखा नहीं खींची जा सकती। इन दोनों समूहों की भाषा, नाम तथा परिवार एक ही थे। यह व्यक्ति की नैतिक गुणवत्ता को व्यक्त करने के लिए शब्द प्रयोग होते थे। जैसे ऋग्वेद के दस राजा एक ही जाति के सदस्य थे। उनके नाम संस्कृत में थे। इसके कई उदाहरण हैं। सुदास एक आर्य का नाम था। शतबाहु व कीर्ति असुरों के नाम थे। सुधर्मा किन्नरों का राजा था। एक निषाद का नाम गुह था। कुक्षि एक दानव था। कुक्षि ईक्ष्वाकु देव का नाम भी था। वृत्रासुर इन्द्र के द्वारा मारा गया था। पुष्कल एक असुर था। कश्यप ऋषि के पुत्र वरुण के बेटे का नाम भी पुष्कल था। पुरोचन एक दैत्य का नाम था तथा इन्द्र के ससुर का नाम भी यही था। पुलोमा भृगु ऋषि की पत्नी का नाम था। च्यवन ऋषि की मां का नाम भी यही था। शटाटिक एक असुर का नाम था। ऋषि व्यास के शिष्य तथा नकुल देव के पुत्र का नाम महीश था।
एक महीश असुर भी था जो दुर्गा देवी ने मारा था। सुमन का अर्थ है फूल। ब्राह्मणों अथवा देवों में आज तक यह नाम सामान्यतया रखा ही जाता है। जबकि सुमन एक दानव भी था। सुबाह दुर्योधन के बड़े भाई का नाम था तथा एक दानव का भी यही नाम था। हिरण्यकश्यपु एक राक्षस था, उसी समय उसका पुत्र प्रहलाद देव कहलाता था। इसके पश्चात् प्रहलाद का पोता बलि दैत्य था। हिरण्यकश्यपु विष्णु के अवतार नरसिंह द्वारा मारा गया। मधु शिव या महादेव है। मधु एक दैत्य भी था जो विष्णु द्वारा मारा गया था। शुक्राचार्य नाम का एक आचार्य था उसकी शिक्षाएं अपवित्र घोषित हो गई थीं। उसके शिष्य असुर कहलाते थे और उसे असुर गुरू कहते थे। वह महान ऋषि भृगु का पुत्र था। उसकी पुत्री प्रसिद्ध राजा ययाति से ब्याही गई थी। उसीका पुत्र यदु था जिसकी संतानें आज तक हैं और यादव कहलाती हैं। इसी वंश में श्रीकृष्ण पैदा हुए। एक त्रास दस्यु था जो ऋषि सोमार का ससुर था।
रामायण काल में श्री रामचंद्र, लक्ष्मण प्रतिहार, भरत व शत्रुघ्न रघु के वंशज दशरथ के पुत्र थे यह सब आर्य थे। जनक श्री रामचंद्र की पत्नी सीता के पिता थे। जनक सांवर असुर के पुत्र थे। अब रावण राक्षस की वंशावली पर ध्यान दीजिए जो श्री रामचंद्र का शत्रु था। रावण का पिता विश्रवा एक ऋषि था उसकी पत्नी कैकसी सुमाली नामी एक राक्षस की पुत्री थी। उसकी दूसरी पत्नियां निक्षा व राका थीं। विश्रवा की चार संतानें थीं। रावण अर्थात रावत या राजा। उसका पुत्र मेघनाद था जो इन्द्रजीत भी कहलाता था। वह युद्ध में लक्ष्मण द्वारा मारा गया। लक्ष्मण इस विजय के पश्चात प्रतिहार कहलाया। २ कुंभकर्ण उसका पुत्र निकुम्भ सुग्रीव के सेनापति व रामचंद्र जी के सहयोगी हनुमान द्वारा मारा गया। ३ विभीषण, उसकी पत्नी शर्मा थी। ४ शूर्पणखा नाम की एक पुत्री थी। ध्यान रहे कि शूर्पणखा पुलस्त्य ऋषि की पुत्री का नाम भी था। विश्रवा परिवार के सारे सदस्य, विभीषण को छोड़कर श्री रामचंद्र जी के विरुद्ध लड़े इसीलिए राक्षस कहलाए। परन्तु विभीषण राक्षस नहीं था। एक और राजघराने में बालि और सुग्रीव दो भाई थे। बालि ने श्रीरामचंद्र का विरोध किया इसलिए वह राक्षस कहलाया।
महाभारत काल में श्रीकृष्ण के मामा कंस राक्षस कहलाते थे क्योंकि उन्होंने अपने पिता उग्रसेन को जेल में डाल दिया था। शिशुपाल चेदि का शुद्ध क्षत्रिय राजा था। उसकी माता सुभद्रा थी जो सात्वत भी कहलाती थी। उसने श्रीकृष्ण का विरोध किया इसलिए राक्षस कहलाया और श्रीकृष्ण के हाथों मारा गया। भीम ने जटासुर को मारा था। पहली सदी ईसापूर्व में वाराहमिहिर ने जटासुर नाम की एक जाति लिखी है। जाट अब एक जाति है। ये शुद्ध आर्य हैं।
महाभारत नाम से प्रसिद्ध एक बहुत बड़ी लड़ाई दो परिवारों के बीच लड़ी गई थी। पांडवों और कौरवों के बीच। श्रीकृष्ण ने स्वयं पंाडवों का साथ दिया। उपमहाद्वीप के सभी राजाओं ने किसी न किसी ओर से इस युद्ध में भाग लिया। जो कौरवों की ओर से लड़े थे, उन्हें पुस्तक में जाति बहिष्कृत लिख दिया गया। जैसे शाकर, चिब, हूण व शिना आदि। यह ध्यान देने की बात है कि इन क्षत्रियों को व्यवहार में कभी भी बहिष्कृत नहीं माना गया। पहलवा आधुनिक पहलवी, कंबोज और पख्तू या पख्तून शुद्ध क्षत्रिय माने जाते रहे। दुर्योधन की बहन सिंध के राजा जयद्रथ से ब्याही थी जो कौरवों के पक्ष से लड़ा था।
कम्बोज, पहलव व पुख्तू सिन्ध व गंधार से परे पश्चिमी क्षेत्रों के राजा थे। पश्चिम में पहलव व कंबोज तथा पूर्व में प्राग्ज्योतिषपुर, आधुनिक आसाम व गौड़ देश, आधुनिक बंगाल तक आर्यों का घर था जिसको उन्होंने आर्यावर्त नाम दिया था स्पष्ट है कि आर्य व असुर आदि एक ही जाति से संबंध रखते हैं।
मानव की उत्पत्ति के संबंध में बहुत बड़ा स्रोत संस्कृत साहित्य है। इससे पता चलता है कि आर्यों के पूर्वज देव थे जो वेदों से भी पूर्व अज्ञात समय से इस उपमहाद्वीप में रह रहे थे। वेेदों में भी उपमहाद्वीप के अतीत काल का वर्णन है। उदाहरण के लिए सुदास देवदास का पुत्र था जिसका पिता पिजावन वघ्रयाश्व का पुत्र था। वे त्रत्सु वंश के सदस्य थे। दूसरे कुल-जह्नू, इक्ष्वाकु, वित्ताश्रय, भृगु आदि थे। इनके पूर्वजों के नाम भी वेदों में लिखे हैं। ये सब वेदों से पूर्व भी इस उपमहाद्वीप में रहते थे।
- वेद में आर्यों के विभाजन या किसी जाति-पाति की बात कहीं नहीं मिलती। वेदों में सभी जगह राजा को राजन् तथा पुरोहित को ऋषि कहा गया है। कहीं-कहीं अध्यापक के लिए ब्राह्मण तथा सैनिक के लिए क्षत्रिय शब्द प्रयुक्त हुआ है। परन्तु ये सब किसी जाति को प्रदर्शित नहीं करते। वेद के एक मंत्र का अर्थ है- ब्राह्मण ब्रह्मा का मुख है, क्षत्रिय भुजाएं हैं, वैश्य पेट है तथा शूद्र पैर हैं।। विद्वान संस्कृत शोधकर्ता मिस्टर एफई पार्जिटर अपनी पुस्तक एन्सिएन्ट इंडियन हिस्टोरिकल ट्रेडींस मं लिखते हैं कि ये मंत्र प्रक्षिप्त हैं। आर्यों में विभाजन तथा जातियां बाद में आईं। इन जातियोंं ने स्थायी संस्था बनने में कई सदियां लगाईं तथा उनकी निश्चित जीवन शैली बनने में और भी अधिक वक्त लगा। यदि हम आधुनिक जातियों के गोत्र तथा परिवारों पर दृष्टि डालें तो इस निष्कर्ष पर पहुंचते हैं कि शूद्र शेष तीनों वर्णों की ही शाखा है तथा आर्य जाति से हरगिज अलग नहीं है।
- आर्य संस्कृति तथा सभ्यता का आर्यावर्त से बाहर सब दिशाओं में प्रसार हुआ। यही कारण है कि संस्कृत शब्द पड़ोसी देशों की भाषा में बहुत अधिक तथा दूर देशों की भाषाओं में भी मिलते हैं। ईरान की पुरानी फारसी भाषा में ५० प्रतिशत से अधिक शब्द प्राकृत संस्कृत के हैं।
- इन शब्दों को देखने से पता चलता है कि फारसी भारत-पाक उपमहाद्वीप की क्षेत्रीय भाषाओं की तरह संस्कृत की ही एक शाखा र्है। संस्कृत शब्द ईरान के माध्यम से तुर्की तथा यूरोप में गए। इस प्रकार श्रीलंका, तिब्बत, नेपाल, बर्मा, मलेशिया, सिंगापुर, जावा, सुमात्रा, बाली, स्याम तथा कंबोडिया आर्य संस्कृति से प्रभावित हुए। यद्यपि फिलीपीन्स, चीन तथा जापान की भाषाओं में भी संस्कृत के शब्द मिलते हैं परन्तु उपमहाद्वीप की भाषाओं में संस्कृत का शत-प्रतिशत प्रभाव है।
- आर्यों की भाषा के कुछ शब्द एशिया तथा यूरोप की किसी भी आर्य भाषा में नहीं मिलते, वे वैदिक संस्कृत में मिलते हैं। इससे पता चलता है कि वैदिक संस्कृत सबसे पुरानी बिना मिलावट की भाषा है। इससे इस बात का भी खंडन होता है सप्तसिंधु आर्यों की यात्रा का अंतिम पड़ाव था। वैदिक आर्य सप्तसिंधु में आने वाली नहीं बल्कि यहां से बाहर जाने वाली जाति थी।
अली हसन लिखते हैं कि मध्यकालीन इतिहासकार- व्रद्धगर्ग, वाराहमिहिर तथा कल्हण महाभारत युद्ध को २४९९ ईपू में हुआ बताते हैं। अब्बूरेहन अलबेरूनी जो इस महाद्वीप में ११वीं सदी के प्रारंभ में वर्षों रहे तथा जिनका न केवल संस्कृत साहित्य अपितु यहां के इतिहास पर भी पूरा अधिकार था, ने अपनी पुस्तक किताब-उल-हिंद अध्याय १९ में गणनाओं के साथ भिन्न-भिन्न कालों का विवेचन किया है। वे कहते हैं कि यदि यज्दीजर्द का ४००वां वर्ष परीक्षण वर्ष या तुलना का पहला पैमाना माना जाए तो हमारे मापन वर्ष से पहले ३४९७ वर्ष इस युुद्ध को हुए हो गए। अबुल फजल ने यह घटना ३००० ईपू की बताई है।
मैगस्थनीज, चौथी सदी ईपू के यूनानी यात्री, ने श्रीकृष्ण और चंद्रगुप्त के बीच १३८ राजाओं के राज्य करने का उल्लेख किया है। चंद्रगुप्त ३१२ ईपू में गद्दी पर बैठा। एक शिलालेख पर कलि संवत लिखा है, कलि संवत महाभारत युद्ध के तुरन्त बाद शुरू हुआ था। विक्रम संवत से तुलना करने पर, विक्रम संवत ईस्वी संवत से ५७ वर्ष पुराना है, युद्ध का समय ३१०१ ईसा पूर्व आता है। पुराने समय में आर्यभट्ट ने भी यही समय बताया है।
राणा अली हसन ने लिखा है कि लाहौर के मशहूर अखबार जंग ने १७ अक्टूबर १९८४ को दिल्ली के इंडियन एक्सप्रेस में डॉक्टर डीएस त्रिवेदी के छपे एक लेख के हवाले से लिखा है कि महाभारत का युद्ध १४ नवंबर ३१३७ ईपू दिन मंगलवार को शुरू हुआ था। वे लिखते हैं कि यदि द्वापर, त्रेता की अवधि कम से कम दस-दस हजार साल की मानी जाए तो वेद की रचना २५ हजार साल पहले की साबित होती है। वैदिक आर्यों के पूर्वज इस उपमहाद्वीप में इससे भी पहले से रह रहे थे। अठारह पुराणों में मानव की उत्पत्ति, राजाओं तथा ऋषियों आदि का वर्णन मिलता है। प्राचीनतम पुराण वेद से भी पुराना है जैसा कि अथर्व वेद में पुराण का नाम दिया गया है। साधारण जनता के लिए उपनिषद के रूप में साधारण साहित्य की रचना हुई। समाज के लिए विधि निषेध स्मृतियों में दिए गए। श्रुतियों में ऋषियों के प्रवचन का संकलन किया गया। युद्धों तथा वीरों की वीरता का वर्णन महाकाव्यों में लिखा है। इससे यह सिद्ध होता है कि आर्यों के पूर्वज मानव की उत्पत्ति से या इतिहास के अज्ञात समय से इस देश में रह रहे हैं।
संस्कृत तथा यूरोपीय भाषाओं के सामान्य स्रोत या उद्गम की खोज की दौड़ १७८४ ईस्वी में शुरू हुई। आर्यावर्त को आर्यों की मूल मातृभूमि तथा संस्कृत को उनकी भाषा सिद्ध करने के लिए बहुत पुराना तथा विशाल संस्कृत साहित्य है। परन्तु योरोप के लोगों ने भाषा शास्त्र, ऐतिहासिक तथ्यों तथा वास्तविकताओं को बहुत तोड़ा मरोड़ा है। आर्यों को इस उपमहाद्वीप से बाहर का साबित करने के लिए विभिन्न मत प्रतिपादित किए गए परन्तु उनके द्वारा इस विषय में दिए गए तर्क आर्यावर्त को आर्यों का मूलस्थान सिद्ध करने में ही प्रयुक्त हो सकते हैं।
- महाभारत में प्राग्ज्योतिष पुर आसाम, किंपुरुष नेपाल, हरिवर्ष तिब्बत, कश्मीर, अभिसार राजौरी, दार्द, हूण हुंजा, अम्बिस्ट आम्ब, पख्तू, कैकेय, गन्धार, कम्बोज, वाल्हीक बलख, शिवि शिवस्थान-सीस्टान-सारा बलूच क्षेत्र, सिंध, सौवीर सौराष्ट्र समेत सिंध का निचला क्षेत्र दण्डक महाराष्ट्र सुरभिपट्टन मैसूर, चोल, आन्ध्र, कलिंग तथा सिंहल सहित लगभग दो सौ जनपद महाभारत में वर्णित हैं जो कि पूर्णतया आर्य थे या आर्य संस्कृति व भाषा से प्रभावित थे। इनमें से आभीर अहीर, तंवर, कंबोज, यवन, शिना, काक, पणि, चुलूक चालुक्य, सरोस्ट सरोटे, कक्कड़, खोखर, चिन्धा चिन्धड़, समेरा, कोकन, जांगल, शक, पुण्ड्र, ओड्र, मालव, क्षुद्रक, योधेय जोहिया, शूर, तक्षक व लोहड़ आदि आर्य खापें विशेष उल्लेखनीय हैं।
राणा अलीहसन चौहान लिखते हैं कि पुराने वंशों से नए नाम के साथ नई-नई जातियां और कबीले बन जाते हैं। इक्ष्वाकु, पुरु व यदुकुल के उच्च श्रेणी के क्षत्रिय रक्त व साहसिक कार्यों के आधार पर संगठित हो गए तथा गुर्जर नाम से प्रसिद्ध हुए। उस समय गुर्जरों के अधीन जो क्षेत्र था, उसे गुर्जर देश या गुर्जरात्रा कहा जाता था।
संस्कृत में यदि किसी अक्षर पर बिंदु लगा दिया जाए तो वह अक्षर नाक में बोला जाता है, जैसे मां, हां आदि। गुरं का अर्थ शत्रु होता है। उज्जर का अर्थ नष्ट करने वाला। इसमें बिंदु का धीरे-धीरे लोप हो गया तथा गुर उज्जर मिल कर कालक्रम से गुर्जर बन गया जिसका अर्थ है शत्रु को नष्ट करने वाला। यह पुल्लिंग है। अली हसन ने अपने मत की पुष्टि के लिए संस्कृत शब्दकोष, कलद्रुपम का हवाला दिया है जिसे पंडित राधाकांत शर्मा ने संपादित किया है।
गुर्जर राजाओं व गुर्जर जाति का वर्णन करते हुए राणा अलीहसन ने लिखा है कि विदेशी मुस्लिम आक्रांताओं का पहला निशाना गुर्जर अधिपति ही बने। चाहे वे सिंध के राजा दाहिर रहे हों या सिकंदर से लोहा लेने वाले पोरस। गुर्जर प्रतिहार का एक जमाने में पूरे देश में एकक्षत्र राज्य था। इस जाति के एक प्रतापी नरेश राजा मिहिरभोज ने ईस्वी सन् ८३६ से ८८८ तक कन्नौज में राज किया था। उनके राज्य की सीमाएं पश्चिम में गांधार और काबुल से लेकर पूरब में बर्मा तक फैली थीं। अलीहसन साहब लिखते हैं कि पृथ्वीराज चौहान जैसे वीर गुजर शासकों के पतन के बाद राजपूताने में जो शासक बैठे वे गुर्जर नरेशों की ही संतानें थीं लेकिन उन्होंने चूंकि मुगल व उनके पहले आए तुर्कों न गुर्जरों को उपेक्षित कर रखा था इसलिए उन्होंने खुद को राजपूत कहना शुरू किया यानी राजाओं के पुत्र। बाद में १९ वीं सदी में जब अंग्रेजों ने वीरगुर्जरों के विद्रोहों से आजिज आकर उन्हें जरायमपेशा घोषित कर दिया तो राजपूतों ने उनसे अलग दिखने के लिए कर्नल टॉड जैसे मुंशी का सहारा लिया और उसे रिश्वत देकर अपना एक अलग इतिहास लिखाया जिसमें राजपूतों को एक अलग जाति करार दिया गया।
http://tukdatukdazindagi.blogspot.in से साभार
- शंभूनाथ शुक्ल
- पेशे से मैं पत्रकार हूं और यही दाल रोटी का जुगाड़ है। सामाजिक विषयों में मेरी रुचि है। किसी तरह के धार्मिक कर्मकांड में मेरी कोई आस्था नहीं है। ईश्वर के बारे में मैं यही कहना चाहता हूं कि इसे जनता को बेवकूफ बनाने के लिए कुछ चतुर लोगों ने ईजाद किया है। अपने पेशे और कर्म की दृष्टि से मैं ईमानदार हूूं। न वैचारिक रूप से करप्ट हूं न आर्थिक तौर पर।
शुक्ला जी बहुत खूब उस राजपूत जाती को जाट और गुज्जर से अलग किया आपके पूर्वजों ने बौद्ध धर्म के नस्ट करने के लिए और अब जिसका इस्तेमाल किया और आज तक कर रहें हैं उसको अनाप सनाप बोल रहे हैं। हमारी राजपूत कौम के दिमाग में उलटी बातें भरने वाले आपके ही पूर्वज थे क्योंकि उनको हमारा इस्तेमाल करना था। कृपया अपनी मुफ्तखोर कौम जो की मंदिर मठों की टैक्सलेस्स इनकम दकार्ति है उसकी चालाकियों का भी वर्णन करे बताएं की कैसे राजपूत जाती का ऋषि वसिष्ठ ने चालाकी से अग्नि कुण्ड से उत्पत्ति की। सोचिये आपके पूर्वज टेक्निकली कितने एडवांस थे!!!!!
जवाब देंहटाएंsilalekh mai apke paas proof hai kya par gujjar rajao ka name apko silalekh mai mil jayga ap dikha do lekh nahi chaiye silalekh dikhao ok
हटाएंसवसे पहले is lekhak kiì ma ki chut
हटाएंDusri bat jo thakur ko ulta b
ol raha h uski maa ka bhoosda
Bap h thakur bhokne ku to kitni bhiì bhook lo madhrchoodo
भाई कलियुग के लिए एक कहावत तो सुनी होगी रामचंद्र कह गए सिया से ऐसा कलियुग आएगा हंस चुंगेगा दाना तिनका कौआ मोती खाएगा।आज ब्राह्मण की कोई इज्जत नहीं कर रहा है राजपूत के अलावा। आज निम्नकौम अपनी जनसंख्या के दम पर शाषन कर रही हैं और राजपूत नौकर का काम कर रहे हैं।ये वही राजपूत हैं जिनमे एक परिहार वंश है जिसने अपनी असली पहचान खो दी कम जनसंख्या के कारण।आज परिहार के इतिहास को कोई नहीं जानता क्योंकि उनके इतिहास को बहुल्य जनसंख्या वाली एक जाति ने चोरी कर लिया है।जो आजादी से पहले गौचर गूजर गोजर गुज्जर थे वो इतिहास की किताबों में गुर्जर प्रतिहार वंश का नाम सुनकर गुर्जर लिखने लगे हैं।गुर्जर प्रतिहार 7वीं 8वीं शताब्दी में एक शक्तिशाली वंश रहा।लेकिन 9वीं 10वीं शताब्दी में
हटाएंगुर्जर प्रतिहार वंश का नाम तक नहीं मिलता है।क्या इसका ये कारण तो नहीं कि जो 7वीं 8वीं मैं गुर्जर प्रतिहार वंश था वो 9वीं शताब्दी अन्य वंशों के शक्तिशाली होने के कारण क्षीण हो गया लेकिन क्या इतना क्षीण हो गया कि उसे गुर्जर से गौचर बनना पड़ा और उस वंश की एक भी रियासत नहीं बची पूरे भारत मैं।सोचने वाली बात ये है कि कभी ऐसा हुआ है अगर एक राजा दूसरे राजा को हर देता है तो भी हारा हुआ राजा कैसे भी करके के चाहे उसे संधि करनी पड़े वो राज्य तो ले ही लेता।लेकिन 9वीं 10वीं शताब्दी में गूर्जर प्रतिहार का उल्लेख नहीं रहता है लेकिन उसकी जगह पर एक नए वंश का उल्लेख होता है जोकि परिहार वंश है।उस समय जो वंश या राजा शक्तिशाली होता था उसे गुर्जर की उपाधि दी जाती थी।जोकि कोई जाति नहीं थी।गुर्जर प्रतिहार वंश के क्षीण होने के बाद गुर्जर उपाधि हट गई और सिर्फ प्रतिहार वंश रह गया और धीरे धीरे परिहार वंश में बदल गया जैसे चालुक्य वंश सोलंकी मैं बदल गया।इसी कारण उस समय बहुत से शक्तिशाली राजाओ को गुर्जर यानी शक्तिशाली की उपाधि दी गयी।राजपूतों ने इस देश को अपनी बरछी तीर कतारों और तलवारों की दम पर अफ़ग़ानिस्तान और पाकिस्तान नहीं तो मुसलमान जहां भी गए वहां उन्होंने पूरे पूरे देश को मुसलमान बन दिया लेकिन राजपूतों की वजह से ये देश आज भी हिंदुराष्ट्र कहलाता है।भाई कलियुग के लिए एक कहावत तो सुनी होगी रामचंद्र कह गए सिया से ऐसा कलियुग आएगा हंस चुंगेगा दाना तिनका कौआ मोती खाएगा।आज ब्राह्मण की कोई इज्जत नहीं कर रहा है राजपूत के अलावा। आज निम्नकौम अपनी जनसंख्या के दम पर शाषन कर रही हैं और राजपूत नौकर का काम कर रहे हैं।आज राजपूतों के पूर्वजों ने अपनी जानें देकर इस देश को हिंदुराष्ट्र बना दिया और इसके बदले में उन्हें कुछ सम्मान भी नहीं मिलेगा क्योंकि निम्नजातियां धीरे धीरे उनके इतिहास को चोरी कर लेंगी।स्वर्ण जातियां(ब्राह्मण क्षत्रिय(ठाकुर) वैश्य) धीरे धीरे गुमनामी मैं चली जायेगी और एक समय ऐसा आएगा जब सभी जातियां बराबर हो जाएंगी और एक दूसरी जाति में शादी करने लगेंगी।अभी तो शुरुआत हुई है घोर कलियुग की धीरे धीरे देखना क्या होता है।अभी तो सिर्फ परिहार वंश(गुर्जर प्रतिहार वंश) को अपना बना लिया गया है और परिहवन को गुमनामी मिली है।200 साल बाद सभी राजपूतों के वंश निम्नवर्गों द्वारा झूठे और निराधार साक्ष्यों की मदद से हथिया लिए जाएंगे।
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हटाएंभाई कलियुग के लिए एक कहावत तो सुनी होगी रामचंद्र कह गए सिया से ऐसा कलियुग आएगा हंस चुंगेगा दाना तिनका कौआ मोती खाएगा।आज ब्राह्मण की कोई इज्जत नहीं कर रहा है राजपूत के अलावा। आज निम्नकौम अपनी जनसंख्या के दम पर शाषन कर रही हैं और राजपूत नौकर का काम कर रहे हैं।आज राजपूतों के पूर्वजों ने अपनी जानें देकर इस देश को हिंदुराष्ट्र बना दिया और इसके बदले में उन्हें कुछ सम्मान भी नहीं मिलेगा क्योंकि निम्नजातियां धीरे धीरे उनके इतिहास को चोरी कर लेंगी।स्वर्ण जातियां(ब्राह्मण क्षत्रिय(ठाकुर) वैश्य) धीरे धीरे गुमनामी मैं चली जायेगी और एक समय ऐसा आएगा जब सभी जातियां बराबर हो जाएंगी और एक दूसरी जाति में शादी करने लगेंगी।अभी तो शुरुआत हुई है घोर कलियुग की धीरे धीरे देखना क्या होता है।अभी तो सिर्फ परिहार वंश(गुर्जर प्रतिहार वंश) को अपना बना लिया गया है और परिहारों को गुमनामी मिली है।200 साल बाद सभी राजपूतों के वंश निम्नवर्गों द्वारा झूठे और निराधार साक्ष्यों की मदद से हथिया लिए जाएंगे।
हटाएंक्षत्रिय ब्राह्मणों की नाजायज संताने हैं| पुराणों में सब झूठ लिखा है कौरव, पांडव, कृष्ण, राम आदि कोई भी क्षत्रिय नहीं थे| क्षत्रिय शब्द का जन्म ही 7 वीं शताब्दी ईसापूर्व हुआ था, जो राजपूतों की उत्पत्ति के 6 वीं शताब्दी में दृष्टव्य होती है| जाट मूलतः मलेक्श जाति के हैं| राजपूत : मलेक्ष, यवन, यहूदी, जाट, गुज्जर, अहीर, गडेरिया, पासी, कोल आदि जातियों के राजपूती करण के फलस्वरूप दृष्टगत हो रहें हैं। यही प्रथम और अन्तिम सत्य है| रामायण की रचना 4 थीं शताब्दी में हुई थीं। गीता 5 वीं शताब्दी में, अधिकतर पुराण 12 वीं शताब्दी में लिखे गए हैं। भविष्य पुराण तो 18 वीं शताब्दी तक लिखा जाता रहा है।
हटाएंकिस मूर्ख ने इस को लेखक बनाया
हटाएंअबे chutiyo मुगलों ओर अंग्रेजो के तलवे चाटने वालो, ये भी तो बता दो मुगल कैसे फूफा बना लिए ।। इतिहास की कलम से ।। मान लिया सभी जातियों गुर्जर, जाट, यादव, सभी ने तुम्हारा इतिहास चुरा लिया सिर्फ तुम ही छतरी थे ।। किंतु छतरी होते हुए तुमने मुगल फूफा कैसे बना लिए । जवाब दो
हटाएंinke bde angrjo or muglo k piche chatri lekar chalte the vha se ye chatri ban gye
हटाएंChalo rakhaelputro tum saalo ne kon sa yuddh Kiya hai hazaro saalo mein jara ek toh bataana ? Mugalo ke talwe chaatate the tumlog , yuddh ksatriya karte the aur tum neech jaat wale muh chupa kar bhaag jaate the sharam toh aaya nahi kabhi tumlogo ko , yaha rajput mugalo se yuddh karta tha aur udhar tumlog apni bhais bakari leke bhaagte the. Aabbe shaadi tumlogo ski mugalo se hoti nahi thi kyunki tumlog waise hi rkhael hote the rajputo aur mugalo ke . Mugalo se 2-4 rajao ne apni rkhaelo se paida hue baccho ki shaadi kya kar di tumlogo ko lag raha hai ki humara representative the wo sab 😂😂🤣🤣
हटाएंऔर हाँ हम कुछ ऐसी गलती कर रहे थे तो धर्म रक्षकों को जो की 21 बार धरती से ख़त्म कर चुके थे (औए आज आर्मी में नगण्य मात्र में उपस्थित हैं) को हमें एक बार फिर ख़त्म कर देना चाहिए था। देखिये साहब सांगत का तो असर होता है और इतिहास गवाह है की सांगत तो आपकी थी।पुरोहित मंत्री सलाहकार आप। राजाओं को लड़ाके कमज़ोर करने वाले आप मुग़ल दरबार के टोडरमल बीरबल आप मुग़ल के सेनापति रेमिदास आप,सोमनाथ का गुप्त मार्ग दुश्मनो को बताने वाले आप। इतिहास लिखने वाले आप और इन बआतोंन कओ को कमतर कर के दिखने वाले आप। इसिलोए तो कह रहा हूँ पुरी सचाई बताइये
जवाब देंहटाएंBhai aapne bilkul sahi kaha inhohe jat,gujjar,rajput or ahir kshatriya ko ladvakar unko kamjor kar diya hai
हटाएंSurf rajput Kshatriya haI.jaat gujjar ahir O.B.C. hain.
हटाएंजा रहन दे दिलेर देखी है तुम्हारी दिलेरी जब महाराजा सूरजमल ने दिल्ली पर चड़ाई करी थी तुम एक भी ना दिखा जाट गुज्जरो अहिरो की हिस्ट्री चेक कर ले पहले
हटाएंAnaam
हटाएंAgyanta hai ya doglapan
Rajput bhi to koshish kar rahe hai obc mei aane ki
https://www.google.com/amp/s/m.hindustantimes.com/jaipur/rajputs-raise-chorus-for-obc-quota-announce-protest-of-raje-s-yatra/story-0SdJzDElliav3b8mF9KVfJ_amp.html
https://www.bhaskar.com/news/UP-MEER-rajputs-in-uttar-pradesh-seek-obc-tag-for-quota-5280506-PHO.html
राजपूत ने कभी भी ओ बी सी मे आने की कोशिश नहीं की और ना ही करेगा राजपूत जो था वो है और रहेगा लेकिन एक बात बताओ इस सुअर की बातों मे आकर आपस मे लड रहे हो क्यो
हटाएंTum muglo ki aulad ho
हटाएंChhatriy Keval Rajput hi
हटाएंAur tum Hamari
हटाएंHona Hamare Aulad Bata to do
हटाएंEk yuddh kar ke Koi Mahan Nahin Ban Jata itne yuddh chhatriy rajputon Lad the Tum sari biradari kahan gaye the Bhains charane Churane
हटाएंजवाब के इन्तिज़ार में
जवाब देंहटाएंWah dekho pandit Jaisi parasite jaat ka vyakti bhi Jo ki duniya ki sabse darpok hari hai wo sala rajputon ko darpok ka certificate de raha hai. Sale had 10 shaheed mein 3-5 isi kaum ke hote hain. Maine pandit shaheed hote hue rarely Sunao hai
जवाब देंहटाएंकेशव भोसड़ये तूं क्या गुज्जर ओर जाटों के बारे में जानता है मुगलों की तलवार देखकर तुम्हारी लड़कियों की सलवार खुल जाती थी 37 तो मुगलों के साथ ब्याही थी कई हजार ठुकवाई थी सिर्फ प्रतिहार जिसमें 90% गुज्जर ओर 10% जाट ओर चौहान जिसमें 70% जाट ओर 30% गुज्जर थे को छोड़कर तो तुम्हारा खाना खराब रहा है भरतपुर के गुज्जर सूबेदार ओर जाट राजा ने कभी मुगलों ओर अंग्रेजों को घुसने नहीं दिया, शिवाजी मराठा का सबसे ताकतवर सेनापति गुज्जर था मिहिरभोज, दहिरसेन ओर कनिष्क जैसे निर्भीक ओर ताकतवर महाराजा गुज्जर हि हुए हैं तुमने तो जहाँ देखी तवा कढ़ाई वहीं राजपूतनी ने रात बिताई वाले हो, तुमने 6 लड़कियां महाराजा रणजीत सिंह के ब्याही, गंगा कंवर भरतपुर के महाराजा से ब्याही, जयसिंह पंवार (सांवड़, भिवानी) ने अपनी लड़की झाडू सिंह फोगाट से ब्याही ओर बदले में 70 एकड़ जमीन ली, जींद के राजा से (बोंद, भिवानी) के पंवारों ने अपनी लड़की ब्याही, लेकिन गुज्जर ओर जाटों का एक भी मामला नहीं है ऎसा.. पहले इतिहास पढ़के आ फिर लिखना..
हटाएंBahqn ke lode tere purvaz engrejo ke time apni bahan chudwa rahe the kya tum bhi to the aazaad kyo nahi karwaya desh
हटाएंBilkul shi kha tumare m itna dam tha to fir ku gulam rhe rajputo k raja bn jate na us tym pr
हटाएंBhosdike sabse phle dhan Singh Gurjar the wo ladai lade the angrejo ke sath bol rah bhnchod tera papa hi sab se pahle lada tha
हटाएंमुगल पुट
हटाएंBc gujari sali tugalak ka Lund lena chahti thi vo teri maa hi to thi bhains chor😂
हटाएंAur pandit sindh ke raja gujjar ni the wo brahmaN the . Bahut Brahman tha. Apni knowledge thik karo.
जवाब देंहटाएंMuurkh hai yey koi pandito ka spokesman nahi hai
हटाएंTeri gand
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जवाब देंहटाएंHahahahahaha
जवाब देंहटाएंTo ye batao rajput tumsey population main jyada kyon h.
जवाब देंहटाएंMuslim k tym se history likhe jati the kya wo galat h.
Tumko 200 yr gulam banake jane wale english galat h.
Kya pure south india k drvid galat h.
Tum ek kayar insaan jo muslim ban gye kya prove kerna chahtey ho. Phle apne aapko hindu prove ker lo.
Jis din pakistan jayega us din tu bhi jayega rajputana rifle se.
Sanse less
Gurjar 20 crore hai bharat me ghadhe
हटाएं27 crore h rajput
हटाएंshi kha gujjar real king of india albaruni ne apni book mai 9th century mai gujjar vansh ke bare mai or kha hai kisi book mai rajputo ka name nh milta puri history mai 15 century se phele
जवाब देंहटाएंbhaiyo ladne se acha hai phele ki book dekho ya silalekh mai dekho.Gurjar Legends
जवाब देंहटाएंThe Gurjar is a great race of the world. Gurjars had been ruling the India since historical times, there some families were called Rajputs in medieval period. Rajput, Maratha, Jat and Ahir are heirs of the Khsatriyas. They are not foreigners. there is no community being called Khsatriya except us all. How that Khsatriyan race can be eliminated in which Ram and Krishna were born. All of us Rajput, Maratha, Jat and Ahirs are the stars whereas Gurjar is the Moon in the Khsatriyan sky. It is beyond human power to lessen the dignity of the Gurjars.. (Words By - Thakur Yashpal Singh Rajput)
जवाब देंहटाएंपं बालकृष्ण गौड लिखते है कि जिसको कहते है रजपूति इतिहास
तेरहवीं सदी से पहले इसकी कही जिक्र तक नही है और कोई एक भी ऐसा शिलालेख दिखादो जिसमे रजपूत शब्द का नाम तक भी लिखा हो। लेकिन गुर्जर शब्द की भरमार है, अनेक शिलालेख तामपत्र है, अपार लेख है, काव्य, साहित्य, भग्न खन्डहरो मे गुर्जर संसकृति के सार गुंजते है ।अत: गुर्जर इतिहास को राजपूत इतिहास बनाने की ढेरो सफल-नाकाम कोशिशे कि गई।
और सम्मान के योग्य प्यारे भाई को मेरे समस्त परिवार की तरफ से हाथ जोड़ कर राम-राम भाई जी जितने भी राजा हुए वह किसी भी जाति से हुए सर्व जाति से ही बने हैं उनका क्या जिन्होंने अपने सर कटा दिए हमारे राजाओं के साथ हकीकत मुझे तो हमारे गांव असोला फतेहपुर में 18 सो 57 में 12 वर्ष से ऊपर के सभी बुजुर्ग और नौजवान और माता बहनों के सर काट दिए थे अंग्रेजों ने एक ही जाति को नहीं काटा था उसमें सभी मरे थे एक जीता जागता वर्णन था उसमें से एक छोटी जाति का जिसको बोलते हैं हम चमार भाई जी सब हमारे गुर्जर समाज में शहीद हो गए थे तो वही बचा था अकेला और वह यह कहकर अपने आप को ही रेत के गंडासे से अपनी गर्दन को काट लिया यह कहकर कि जब मेरे पालनहार ही नहीं रहेंगे तो मैं जीवित रह कर क्या करूंगा रोंगटे खड़े हो जाते हैं भाई जी यह बात पढ़कर भी और सुनकर भी क्योंकि हमें अपनी जाति के वर्णन के साथ-साथ उनका भी सम्मान करना चाहिए जिस जाति ने हमारे राजा महाराजाओं का सहयोग किया था इसको बोलते हैं हम चमार भाई जी सब हमारे गुर्जर समाज ने शहीद हो गए थे तो वही बचाता केला और वह यह कह कर अपने आप को ही रेत के गुना से से अपनी गर्दन को काट लिया यह कहकर कि जब मेरे पालनहार ही नहीं रहेंगे तो में जीवित रह कर क्या करूंगा रोंगटे खड़े हो जाते हैं भाई जी यह बात पढ़कर भी और सुन कर दी क्योंकि हमें अपनी जाति के वर्मन के साथ-साथ उनका भी सम्मान करना चाहिए जिस जाती ने हमारे राजा महाराजाओं का सहयोग किया था और कुछ इतिहासकार हमारे गुर्जर समाज में है जो हम को भड़का रहे हैं आपस में उनसे भी बचना अति आवश्यक है चुप मत बैठो जवाब जरूर दो और एक जीता जागता इतिहास है मुगल 732 में आए उनमें सबसे पहले मोहम्मद पैगंबर थे उनकी बेटी फातिमा उनका दामाद आली उनका नवासा हुसैन किसने मारा यह पूरे मुगलों को और मुसलमान को आज भी मालूम है पर यह देखते हुए भी वह अटल हैं फज्र की नमाज़ में अली को मुसलमानों ने ही मारा था किसी r.s.s. या हिंदू या सनातन धर्म के इंसान ने नहीं मारा उनकी बेटी फातिमा उनका दामाद अली उनका नवासा हुसैन किसने मारा यह पूरे मुगलों को और मुसलमान को आज भी मालूम है पर यह देखते हुए भी वह अटल है वस्त्र की नमाज में अली को मुसलमानों में ही मारा था किसी rss या हिंदू यह सनातन धर्म के सामने नहीं मारा और आज संवाद पर देख लो और मुसलमानों को भी देख लो क्या कॉमेंट कर रहे हैं यह भी देखते हुए कि हमारे पूर्वज मुगल कैसे थे अरे आज भी हटल हैं अपने पूर्वजों का बखान करते हैं इज्जत से नाम लेते हैं और हमारे गुर्जर अपने की टांग खिंचाई कर रहे हैं यह भी सोचने वाली बात है हमारे पूर्वज कैसे भी थे वह अच्छे थे बुरे थे हमें उनका मान और सम्मान करना चाहिए सनातनी हिंदू कोई भी राजा था किसी भी जाति से था यह हिंदुत्व और सनातन धर्म की पहचान है जब तक हम एक नहीं होंगे तब तक हम ऐसे ही ठोकर खाते रहेंगे जय हिंद वंदे मातरम भारत माता की जय कोई भी गलती हुई हो लिखने में तो हाथ जोड़कर माफी चाहता हूं भाई जी रीटा खिंचाई कर रहे हैं यह भी सोचने वाली बात है हमारे पूर्वज कैसे भी थे ऑफ अच्छे थे बुरे थे हमें उन कमाना सम्मान करना चाहिए सनातन हिंदू कोई भी राजा था किसी भी जाति से यह हिंदू तू और सनातन धर्म की पहचान है जब तक हम एक नहीं होंगे तब तक हम ऐसे ही धो कर खाते रहेंगे जय हिंद वंदे मातरम भारत माता की जय कोई भी गलती हुई हो लिखने में तो हां जोड़कर माफी चाहता हूं सर्व समाज सर्व धर्म से
हटाएंBhai rajputon ki uttpati badgujjon se hui hai na ki gujjaron se aur bad gujjar bhi rajputon ki hi saka hai
हटाएंJhut bol rha he ������gurjro ka hi likha hua he ������india me india ki chalti he
हटाएंअबे भोसडी के गांड़ फटी को तो अपनी बुआ ब्याह दी मुगलों से।। वे अपने फूफा बना लिए ।। नकटे गाँडू नाक कटवा कर फिर भी बोल रहा है । बोलने लायक नहीं है तू ।। गुर्जर समाज को तू कुछ भी कह ले भैंस चोर चाहे जो बोल।। लेकिन तुम्हारी तरह उन्होंने अपनी इज्जत नहीं बेची किसी को ।। इतिहास की कलम से ।।
हटाएंTeri maa gujari ne tugalak ka lund liya 😂 vo ithihas bhi pdh l bhains chor
हटाएं• कविवर बालकृष्ण शर्मा लिखते है :
जवाब देंहटाएंचौहान पृथ्वीराज तुम क्यो सो गए बेखबर होकर ।
घर के जयचंदो के सर काट लेते सब्र खोकर ॥
माँ भारती के भाल पर ना दासता का दाग होता ।
संतति चौहान, गुर्जर ना छूपते यूँ मायूस होकर ॥
• कर्नल जेम्स टोड कहते है कि राजपूताना कहलाने वाले इस विशाल रेतीले प्रदेश अर्थात राजस्थान में, पुराने जमाने में राजपूत जाति का कोई चिन्ह नहीं मिलता परंतु मुझे सिंह समान गर्जने वाले गुर्जरों के शिलालेख मिलते हैं।
जवाब देंहटाएंगुर्जर बात कर रहे हैं ना, फिर बड़ो के बीच में गुर्जरपूत क्यों भौंक रहा है।
हटाएंगुर्जर प्रतिहार का प्राचीन इतिहास सत्यपरक है। शिव उपासक थे।
जवाब देंहटाएंगुर्जर प्रतिहार पूरा विश्व पर राज करते थे
जवाब देंहटाएंगुर्जर प्रतिहार पूरा विश्व पर राज करते थे
जवाब देंहटाएंPOrus bhai JAt tha Kanisk kushan bhai. .
जवाब देंहटाएंIndia Pakistan Afghanistan m aaj bhai Gujjar or BadGujar Got k JAT jut rhte hai ...vo kyun JAT hai kon hai vo
Bhai khene se phele koi shilalekha dekho or Gurjar ka name purano mai or Valmiki ki Rajamayan mai raja dashrath ko Gajar gurutar kha h pad lena thang se
हटाएंइस महान जाति ने मूल रूप से अपना नाम 'गुरुतार' शब्द से लिया है जैसा कि पं। छोट लाल शर्मा (प्रसिद्ध पुरातात्विक और इतिहासकार)। वाल्मीकि द्वारा रामायण (2-79-2) में 'महाराजा दशरथ' को 'गुरुदार' कहा जाता था। इसका मतलब है "एक बहुत उच्च श्रेणी राजा"।जिसे गुरुजन में बदल दिया गया था और बाद में गुर्जर में बदल दिया गया था। गुर्जर भारत में सबसे प्राचीन लड़ाई समूहों में से एक हैं
बनारस के एक प्रसिद्ध संस्कृत पंडित पंडित वासुदेव प्रसाद ने प्राचीन संस्कृत साहित्य के माध्यम से साबित किया है कि शब्द "गुज्जर" प्राचीन के नामों के बाद बोली जाने वाली थी, क्षत्रिय अन्य संस्कृत विद्वान राधाकांत का मानना है कि गुज्जर शब्द क्षत्रिय के लिए थे। वैज्ञानिक साक्ष्य ने साबित कर दिया है कि गुज्जर आर्यों से संबंधित है
Rana Ali Hussan writes in his history that the word Gujjar is derived from the word Gurjar or Garjar, which has been used by maharishi Valmiki in Ramayana.E.g.in Valmiki’s Ramayana, there is written, “Gato Dashrat swargyo gartaro” – which means king Dashrat who was brave amongst us kshatriyas, departed for heaven
Kanishk samrat ka shilalekha
कुशाना साम्राज्य (50 से 250 ईस्वी),
गुसुरा / गुज़ुरा / गुज्जर
कुशाना / कसाना
जनरल कनिंघम का कहना है कि गुज्जर और कुशंस एक ही लोग हैं। उनका कहना है कि कुषण राजा कनिष्क को रबाटक शिलालेख में "गुशूर" (गुज़ुर्रा) कहा जाता है, जो कहता है कि उनके पास "गुर्जरा" के नाम पर भिन्नता है। उन्होंने आगे कहा कि राजवंश, गोर्सी और चेयेची सेंट्रल-एशियाई समूह कुशाना, कोरो और यूची हैं।
एचडब्ल्यू के मुताबिक बेली, 'गुशूर' शब्द का मतलब है कि वह व्यक्ति जो उच्च परिवार में पैदा हुआ है, यानी बेटा का बेटा है। शब्द 'गुशूर' रॉयल्स या शाही परिवार का सदस्य है। गुर्जर शब्द "गुशूर" से लिया गया है। इसलिए, प्रजातियों के नामों और लक्षणों को ध्यान में रखते हुए, गुजर अभी भी अफगानिस्तान में अपने शुद्ध रूप में हैं।
राणा हसन अली भी इस बात से सहमत हैं कि कुशंस गुर्जर थे, लेकिन वे तर्क देते हैं कि कुशंस केंद्रीय-एशियाई नहीं थे बल्कि एक भारतीय लोग थे। यह भारत में कुशंस के आगमन को "आक्रामकता" के बजाय "वापसी" या "घर आने" के रूप में परिभाषित करता है। उनके अनुसार, कुसान (गुज्जर) उत्तर भारतीय थे जिन्होंने तुर्कमेनिस्तान और चीन तक भूमि पर विजय प्राप्त की थी। वह इस तथ्य को इंगित करते हैं कि कुशंस ने बौद्ध धर्म का पालन किया, जो एक भारतीय धर्म है, जो उनके भारतीय मूल के बारे में बताता है।
राजा कनिष्क ने शाका युग या कैलेंडर की स्थापना करके शाकस या सिथियान की हार मनाई, जो फिर से दिखाती है कि
कुशन और सेठीयन / शाक दोनों अलग जाति थे।
मध्य-एशियाई लोगों के विरोध में कुशन को भारतीय लोगों के साथ गठबंधन किया गया था।
कुशान राजवंश के संस्थापक कुशल कदफिसिस के नाम पर डब्ल्यू थॉमस, कुजुल वास्तव में 'गुशूर' हैं
सही प्रतीत होती है
हटाएंGujar ek Uppadi hai jo JAT / jut ko Arab ke muslim rajao n di Guj + jar jo aaj ek alg jaati bn gyi hai.. .
जवाब देंहटाएंGujar JAT se alg hue hai. .Or aaj bhi Gujar or BadGurjar gotr k Jat hai.. .Rajput to bhaut nya sabd hai ..
गुर्जर प्रतिहार फोर फादर ऑफ़ राजपूत
हटाएंइतिहासकार सर जर्वाइज़ एथेलस्टेन बैनेस ने गुर्जर को सिसोदियास, चौहान, परमार, परिहार, चालुक्य और राजपूत के पूर्वज थे।
गुर्जर लेखक के एम मुंशी ने कहा कि प्रतिहार, परमार और सोलंकी शाही गुज्जर वंश के थे।
विन्सेंट स्मिथ का मानना था कि गुर्जर वंश, जिसने 4 वीं से 11 वीं शताब्दी तक उत्तरी भारत में एक बड़े साम्राज्य पर शासन किया था, और शिलालेख में "गुर्जर-प्रतिहार" के रूप में उल्लेख किया गया है, निश्चित रूप से गुर्जरा मूल का था।
स्मिथ ने यह भी कहा कि अन्य उत्पनीला क्षत्रिय कुलों की उत्पत्ति होने की संभावना है।
डॉ के। जमानदास यह भी कहते हैं कि प्रतिहार वंश गुर्जरों से निकला है, और यह "एक मजबूत धारणा उठाता है कि अन्य राजपूत समूह भी गुर्जरा या संबद्ध विदेशी आप्रवासियों के वंशज हैं।
डॉ० आर० भण्डारकर प्रतिहारों की गुर्जरों से उत्पत्ति मानते हुए अन्य अग्निवंशीय राजपूतों को भी विदेशी उत्पत्ति का कहते हैं।
नीलकण्ठ शास्री विदेशियों के अग्नि द्वारा पवित्रीकरण के सिद्धान्त में विश्वास करते हैं क्योंकि पृथ्वीराज रासो से पूर्व भी इसका प्रमाण तमिल काव्य 'पुरनानूर' में मिलता है। बागची गुर्जरों को मध्य एशिया की जाति वुसुन अथवा 'गुसुर 'मानते हैं क्योंकि तीसरी शताब्दी के अबोटाबाद - लेख में 'गुशुर 'जाति का उल्लेख है।
जैकेसन ने सर्वप्रथम गुर्जरों से अग्निवंशी राजपूतों की उत्पत्ति बतलाई है। पंजाब तथा खानदेश के गुर्जरों के उपनाम पँवार तथा चौहान पाये जाते हैं। यदि प्रतिहार व सोलंकी स्वयं गुर्जर न भी हों तो वे उस विदेशी दल में भारत आये जिसका नेतृत्व गुर्जर कर रहे थे।
राजपूत गुर्जर-प्रतिहार साम्राज्य के सामंत थेIगुर्जर-साम्राज्य के पतन के बाद इन लोगों ने स्वतंत्र राज्य स्थापित किएI
नीलकुण्ड, राधनपुर, देवली तथा करडाह शिलालेख में प्रतिहारों को गुर्जर कहा गया है
।राजजर शिलालेख" में वर्णित "गुर्जारा प्रतिहारवन" वाक्यांश से। यह ज्ञात है कि प्रतिहार गुर्जरा वंश से संबंधित थे।
राष्ट्रकूट के रिकॉर्ड और अरब इतिहास भी गुरजारों के साथ परिवारों की पहचान करते हैं।
। बादामी के चालुक्य नरेश पुलकेशियन द्वितीय के एहोल अभिलेख में गुर्जर जाति का उल्लेख आभिलेखिक रूप से सर्वप्रथम रूप से हुआ है।
गुर्जर जाति का एक शिलालेख राजोरगढ़ (अलवर जिला) में प्राप्त हुआ है
नागबट्टा के चाचा दड्डा प्रथम को शिलालेख में "गुर्जरा-नृपाती-वाम्सा" कहा जाता है, यह साबित करता है कि नागभट्ट एक गुर्जरा था, क्योंकि वाम्सा स्पष्ट रूप से परिवार का तात्पर्य है।
महिपाला, जो एक विशाल साम्राज्य पर शासन कर रहा था, को पंप द्वारा "गुर्जरा राजा" कहा जाता है। एक सम्राट को केवल एक छोटे से क्षेत्र के राजा क्यों कहा जाना चाहिए, यह अधिक समझ में आता है कि इस शब्द ने अपने परिवार को दर्शाया।
भडोच के गुर्जरों के विषय में हमें दक्षिणी गुजरात से प्राप्त नौ तत्कालीन ताम्रपत्रों से चलता हैं।इन ताम्रपत्रो में उन्होंने खुद को गुर्जर नृपति वंश का होना बताया
वीं शताब्दी में परमार राजकुमार जगददेव के जैनद शिलालेख में कहा गया है कि गुर्जरा योद्धाओं की पत्नियों ने अपनी सैन्य जीत के परिणामस्वरूप अर्बुडा की गुफाओं में आँसू बहाए।
। मार्कंदई पुराण और पंचतंत्र में, गुर्जर जनजाति का एक संदर्भ है।
समकालीन अरब यात्री सुलेमान ने गुजरर सम्राट मिहिरभोज को भारत में इस्लाम का सबसे बड़ा दुश्मन करार दिया गया था, क्योंकि गुर्जर राजाओं ने 10 वीं सदी तक इस्लाम को भारत में घुसने नहीं दिया था। गुर्जर संभवतः हुनों और कुषाणों की नई पहचान थीं
मेहरौली, जिसे पहले मिहिरावाली के नाम से जाना जाता था, का मतलब मिहिर का घर, गुर्जर-प्रतिहार वंश के राजा मिहिर भोज द्वारा स्थापित किया गया था । लाल कोट किला का निर्माण गुर्जर तनवार प्रमुख अंंगपाल प्रथम द्वारा 731 के आसपास किया गया था और 11 वीं शताब्दी में अनांगपाल द्वितीय द्वारा विस्तारित किया गया था, जिसने अपनी राजधानी को कन्नौज से लाल कोट में स्थानांतरित कर दिया था।
इतिहासकार डॉ ऑगस्टस होर्नले का मानना है कि तोमर गुर्जरा (या गुज्जर) के शासक वंश में से एक थे।
गुजराती इतिहास के लेखक अब्दुल मलिक मशर्मल लिखते हैं कि गुजर इतिहास के लेखक जनरल सर ए कनिंघम के अनुसार, कानाउज के शासकों गुजर (गुजर पी -213 का इतिहास) 218)। उनका गोत्रा तोमर था और वे हुन चीफ टोरमन के वंशज हैं।
गुर्जर प्रतिहार साम्राज्य अनेक भागों में विभक्त था। ये भाग सामन्तों द्वारा शासित किये जाते थे। इनमें से मुख्य भागों के नाम थे:
शाकम्भरी (सांभर) के चाहमान (चौहान)
दिल्ली के तौमर
मंडोर के गुर्जर प्रतिहार
बुन्देलखण्ड के कलचुरि
मालवा के परमार
मेदपाट (मेवाड़) के गुहिल
महोवा-कालिजंर के चन्देल
सौराष्ट्र के चालुक्य
Jaat ka to tb name bhi nh tha or agar proof ho to dikha do
हटाएंजाट कभी कोई जाति नही थी जात संघ था लेकिन जिसमें जिसमें वीर जातियों के काबिले शामिल थे लेकिन जैसे - 2 कबीले अलग होते गए गुरुजर गुरु थे जो गुज्जर बने व यादव बनकर यदु निकल गए जो उसमें बच गए उनको जात से जाट कहने लग गए गुज्जर ओर जाटों से हि राजपूत बने राजपूत भी कोई जाति नही थी जो राजा बना उसको राजपुत्र कहना शुरू कर दिया
हटाएंGujar gotra present in jats
हटाएंChutiya bna rha hai w
हटाएंJo cast ab population mai aage hai unko swarno se ldwa rhe hai mushalte, kbhi jato ko sikandr ka vanshaj kabhi yadawo ko krishna ji ka ab gurjaro ko chutiya bna kr kshtriya bataya ja rha hai kuch din phle chamaro ko bhi kshtriya bta rhe hai the mushlte
हूण एक जाति समूह था क्या हूण विदेशी थे या यह भारतीय गुर्जरों की ही एक उपजाति का नाम था?
जवाब देंहटाएंभारतीय इतिहासकार मानते हैं कि कॉकेशस से हूणों ने मध्य और दक्षिण एशिया के अन्य देशों में फैलना शुरू किया। कुछ इतिहासकार मानते हैं कि हूण बंजारा जाति के लोग थे जिनका मूल वोल्गा (रुस की एक नदी) के पूर्व में था। वे 370 ईस्वी में यूरोप में पहुंचे थे। हूणों ने दक्षिण-पूर्वी यूरोप और उत्तर-पश्चिम एशिया में अपना साम्राज्य स्थापित किया था। 'अटिला' नामक हूण ने अपना साम्राज्य चौथी-पांचवीं शताब्दी के दौरान यूरोप में स्थापित किया था। मध्य एशिया में यह 6ठी-7वीं शताब्दी में बस गए। 100 ईसा पूर्व से 500 ईसा पूर्व तक हूणों का आतंक रहा
इतिहासकार मानते हैं कि 5वीं शताब्दी के मध्यकाल में गुप्तकाल के दौरान हूणों के राजा तोरमाण ने मालवा (मध्यप्रदेश का एक हिस्सा) की विजय करने के बाद भारत में स्थायी निवास बना लिया था। उसके पुत्र मिहिरकुल या मिहिरगुल ने पंजाब पर आक्रमण कर उसे अपने अधीन कर लिया था।
माना जाता है कि मिहिरकुल ने बहुत समय तक शासन किया और भारत के अन्य राज्यों में लुटपाट की। उत्तरप्रदेश में हूणों ने मंदिरों में रखे खजाने को लुटा। उन्होंने कुछ हिन्दू मंदिरों को भी तोड़ा। उन्होंने मथुरा और तक्षशिला में बहुत रक्तपात किया, लेकिन यह कितना सच है?
सवाल यह है कि मंदिर और स्तूपों को तोड़े बगैर भी उसमें रखा धन मिल रहा है, तो फिर तोड़ने में नाहक मेहनत क्यों करना? कुछ इतिहासकारों का तर्क है कि हूणों का कोई धर्म नहीं था, तो उनके लिए मंदिर को तोड़ना उनका मकसद कैसे हो सकता है? ईरानी, तुर्क और अरब आक्रांताओं ने मंदिर और स्तूपों को इसलिए तोड़ा क्योंकि उनको इसके स्थान पर अपना धर्म स्थापित करना था। हालांकि इस तर्क को खारिज किया जा सकता है।
एक तथ्य यह भी : गुर्जर इतिहास के जानकारों अनुसार हूण गुर्जर लोगों का एक वंश था जिनका मूल स्थान वोल्गा के पूर्व में था। उन्होंने 370 ईस्वी में यूरोप में विशाल साम्राज्य खड़ा किया था। कहते हैं कि हूणों कि दक्षिणी शाखा को हारा-हूण कहते थे। संभवत हारा-हूण से ही हारा/हाडा गोत्र कि उत्पत्ति हुई। हाडा लोगों के आधिपत्य के कारण ही राजस्थान का कोटा-बूंदी इलाका हाडौती कहलाता हैं। हाडौती संभाग में आज भी हूण गोत्र के गुर्जरों के अनेक गांव हैं।
प्रसिद्ध इतिहासकार वीए स्मिथ, विलियम क्रुक आदि ने गुर्जरों को श्वेत हूण माना है। इतिहासकार कैम्पबेल और डीआर भंडारकर गुर्जरों की उत्त्पत्ति श्वेत हूणों की खज़र शाखा से मानते हैं।
(भारतीय पुराण में हुन कबीले)
भागवत देवी पुराण के अनुसार ऋषि च्यवन के काल में नैमिषारण्य नामक तीर्थ स्थान में भी निषादों, धीवरों, बंगों, खस, म्लेच्छों आदि के साथ हूणों की भी बस्ती थी। इस वर्णन से यह सिद्ध होता है कि हूण जाति ईसा पूर्व से ही मालवा में रह रही थी, जबकि इतिहासकार मानते हैं कि 450 ईस्वी में वे मालवा में बसे थे। जैसे कि उन्होंने अंग्रेज इतिहासकारों का अनुसारण करते हुए लिखा कि उनका राजा तोरमाण मालवा में बस गया था।
नैमिषारण्य मालवा के नेमावर क्षेत्र को कहा जाता है, जो नर्मदा तट पर बसा हुआ है। दूसरा नैमिषारण्य उत्तर प्रदेश में है। ऋषि च्यवन भृगु ऋषि के पुत्र थे। भृगु ऋषि आज से लगभग 9400 वर्ष पूर्व हुए थे यानी 7386 ईसा पूर्व हुए थे। यदि हम यह मानें कि मारीचि कुल के भृगु की बात है, तो वे भी 5000 ईसा पूर्व ईरान में हुए थे। मतलब यह तो सिद्ध हुआ कि हूण कम से कम आज से 7014 वर्ष पूर्व से भारत में रह रहे थे। मतलब श्रीकृष्ण के काल से भी पूर्व श्रीराम के काल में।
महाभारत नाम से प्रसिद्ध एक बहुत बड़ी लड़ाई दो परिवारों के बीच लड़ी गई थी। पांडवों और कौरवों के बीच। श्रीकृष्ण ने स्वयं पंाडवों का साथ दिया। उपमहाद्वीप के सभी राजाओं ने किसी न किसी ओर से इस युद्ध में भाग लिया। जो कौरवों की ओर से लड़े थे, उन्हें पुस्तक में जाति बहिष्कृत लिख दिया गया। जैसे शाकर, चिब, हूण व शिना आदि।
महाभारत में प्राग्ज्योतिष पुर आसाम, किंपुरुष नेपाल, हरिवर्ष तिब्बत, कश्मीर, अभिसार राजौरी, दार्द, हूण हुंजा, अम्बिस्ट आम्ब, पख्तू, कैकेय, गन्धार, कम्बोज, वाल्हीक बलख, शिवि शिवस्थान-सीस्टान-सारा बलूच क्षेत्र, सिंध, सौवीर सौराष्ट्र समेत सिंध का निचला क्षेत्र दण्डक महाराष्ट्र सुरभिपट्टन मैसूर, चोल, आन्ध्र, कलिंग तथा सिंहल सहित लगभग दो सौ जनपद महाभारत में वर्णित हैं
हूण गुर्जरों के इतिहास अनुसार वे भारतीय ही थे और उन्होंने मध्य एशिया से होते हुए योरप में अपना परचम लहराया था और वे बाद में चीन में बस गए थे। फिर उनके ही कुछ वंशज लौटकर आए और वे यहां आकर बस गए। मूल रूप से वे शैव धर्म के अनुयायी थे और उन्होंने राजस्थान, मालवा और पंजाब में कई शिव मंदिरों का निर्माण किया है। उन्हीं ने नारा दिया था- हर हर महादेव।
Gurjar
जवाब देंहटाएंRamamyan ke time ke raja h or pure bharat par raj kiya purane tym mai sirf do cast bni ek Gurjar or Dusri Ahiratra GURJAR ke rajye ko Gujratra or Ahiro ke Rajye ko Ahiratra kha gya
Dono hi doodh bechne wali aur bhense Charane wali jatiyan ha in.
हटाएंBhen chod Ahirwal ki history padh lee jab rajput the nahi tabke raja the 😂😂 bilkul satya jake dekh lee mahabharat kalin nagari hai rewari ahirwal ki tum ke hoo mugal put
हटाएंShukl Ji your blog is very interesting and sheds new light on Indian history. Keep it up.
जवाब देंहटाएंRana ali hasan chouhan iske to nam hi dhoka hai iska baap muslim bhi h rajput bhi hai vo bhi chouhan or rana.... Ghnta malum h tuje rajputo jaisi jati k bare m
जवाब देंहटाएंअपने हिंदुस्तान के लोगो से एक बात कहुगा की जो इतिहास हजारो साल पुराना है उसमे आज बदलाव क्यो हो रहा है क्या पुराने इतिहास कारो ने सब कुछ झूठ लिखा था या फिर हमे विदेशी इतिहासकार जेम्सटॉड ओर अली हसन खान पर विश्वास है कि वो सच बोल रहे हैं क्या चंदरबरदाई झूठा हैं जिसने पृथ्वीराज रासो लिखी और अलीहसन सच्चा ह जिसने पृथ्वीराज को गुजर लिख दिया
जवाब देंहटाएंये इतिहास कार 5 साल पहले कभी नही दिखे अब ये इतिहास गलत बता रहे हैं आज से 5 साल पहले कभी गुजर समाज ने ये नही कहा कि हमारा इतिहास गलत ह कभी किसी ने राजा दशरथ , राजा लक्ष्मण और पृथ्वीराज चौहान को गुजर नही कहा और ना हमने कभी सुना और ना ही गुजर जाती की राजपूत जाती से कोई दुश्मनी देखी लेकिन आज की युवा पीढ़ी को पता नही क्या क्या गलत बताया जा रहा है ।
पृथ्वीराज रासो में ही राजा सोमेश्वर को गुर्जर लिखा गया है अगर पिता गुर्जर है तो बेटा राजपूत कैसे हुआ जवाब दें
हटाएंआज सभी जातियों का निशाना सिर्फ एक जाति हैं और वो है राजपूत
जवाब देंहटाएंयादव कहते है हमारा इतिहास चुराया
गुजर कहते हैं हमारा इतिहास चुराया
जाट कहते हैं हमारा इतिहास चुराया
दलित कहते हैं हमारे साथ भेदभाव ठाकुरो ने किया
जरा अपने दिमाग से सोचना कुछ तो खासियत हैं राजपूत समाज मे जो आप लोग आज तक उनसे नाराज है
मुझे लगता है इसी जलन के कारण मुगल ओर अंग्रेज हिंदुस्तान में राज कर गए
आज आप सभी के पास एक ही बात ह की राजपूतो ने अपनी बेटियां मुगलो को दी इतिहास में लिखा है
भाइयो ध्यान से सोचना मुगलो का लक्ष्य हिदुस्तान में राज करने का था और उनकी सबसे बड़ी कमजोरी राजपूत थे
जिस कारण ये सब राजनीति हुई
ओर राजपूत सबसे ज्यादा बड़े थे उस समय इस लिए इतिहास में सिर्फ राजपूत शब्द लिखा गया
ओर बहन बेटियां सभी जातियों की उठाई मुगलो ने क्यो की उनका राज था फर्क इतना हुआ कि उन्होंने कुछ रानिया बनाई और ज्यादा लडकिया अपनी दास बनाई
ओर इतिहास में पढ़ लेना ग्यासुदीन कि मा कोंन थी
ओर गुजरी महल किसने बनवाया
लेकिन राजपूतो का शाशन था इस लिए लोग राजपूतो को बुरा बोल कर हाथ साफ कर लेते है जैसे कि वो बिल्कुल शुद्ध जाती से है
जो राजपूत योद्धा लड़े उनको अपना बताते है और जिन्होंने गलत काम किया उनको राजपूत बता देते है
Sahi kaha bha
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जवाब देंहटाएंगुर्जर इतिहास की सटीक जानकारी कौन पुस्तक देती है
जवाब देंहटाएंलंड पाड़ लो गुर्जरो का बहन के लोडो
जवाब देंहटाएंभाई ये गंदी भाषा ना बोलें किसी को भी किसी ने किया लिख दिया ओर अब डिलीट कर दिया लेकिन हम सब आपस मे लड रहे हैं बदतमीजी कर रहे है ऐसा मत करो , कोई किसी का नहीं उखाड सकता सब जानते हैं फिर भी एक दूसरे को गालियां देने मे लगे हैं
हटाएंLad lo aapas me bhosdwalo....
जवाब देंहटाएंFir tum gujjar ar hum rajput us rana ali hasan chohan ki tarah mulle bana diye jayenge ar apne purvajo k dharm se door kr diye jayenge....
Lado salo ar maro jati k naam pr...
Sahi baat hai kalyug me dharm aise hi mitega...
Gujjar jaat mikle rajputo ko gaali do ar rajput tumhe denge ar mulle mja lenge.....
Yrr...plz mat lado dharm khatm ho jayega
Hun bahar se Aaya tha na ki gujjar the
जवाब देंहटाएंSamjhe mere gujjar bhai Hun videshi the
Jo ki turkey aur Iran se Bharat Aaya tha Hun gujjar Nahi the galat information post mat Karo mere gujjar bhai aapko history Ka abcd bhi parts Nahi hai agar aapko bharosa na ho aap log Google per search Kar sakte hai
Hun videshi the na ki gujjar
Galat jankari mat Diya Karo logo
Gujjar log aaj ke samay main bahut logo Ka itihaas ko chura kar apna babate hai gujjar logo ke pass koi bhi sabood Nahi hai ki unke purvaj kon the
जवाब देंहटाएंKabhi gujjar log apne purvaj ko
Hun batate Hain lekin Hun Tu videshi the na ki gujjar
Samrat Mihir bhoj Tu rajpRa the
Tu gujjar log samrat mihir bhoj ko gujjar kyu batate Hain
Sardar balambhai Patel Tu kurmi the
Lekin gujjar log sardar balambhai Patel ko apna kyu batate Hain
Maharaja chhatrapati Shivaji Maharaj Maratha kunbi the lekin gujjar log Maharaja chhatrapati Shivaji Maharaj ko bhi apna batate Hain
Samrat kanishka kaswan Tu jaat the
Lekin gujjar log samrat kanishka ko bhi gujjar batate Hain iska matlab khojo log sabhi ke itihaas ke sath chhedchhad Karke use apna batane ki koshish kar rahe hain Google per ulta seedha information Dal rahe hain sudhar jao gurjar samaj ke log Varna bahut bura Hoga tumhare sath logon ko chutiya samjha hai kya Tumne
Bhai main nahi janta tu kon hai lekin mera mobile no 08527339343 hai or aap hme phone kro ya fir apna number daalo ya fir address btao
हटाएंGujjar bhi yhi kah rahe hai,rajput generated after 1200.
जवाब देंहटाएंलेखक की मानसिकता सही नहीं है पहले यह सिद्ध करें कि मै हिंदू हूं
जवाब देंहटाएंजय हो गुर्जर प्रतिहार राजवंश की
जवाब देंहटाएं😁😁😁😁😁
जवाब देंहटाएंवाह बुद्ध के बेटा
परशुराम चाणक्य ब्रह्मा जी सरस्वती जी को गुर्जर बता देता 😂😂😂 इनको क्यो छोड़ दिया
Veer Gurjar Suryavanshi Kshatriya
जवाब देंहटाएंभाई लोगों को पहले तो आपस में लड़ो मत यह जो राणा अली हसन जो बता रहा है कि भाई गुजरी है गुजर हुआ है पहली बात तो गुजर हिंदू है राजपूत हिंदू है जाट भी हिंदू हैं लेकिन जिन लोगों को हम मलेज कह कर पुकारते थे इसने उनकी अधीनता स्वीकार कर ली अगर यह हिंदू धर्म महान गुर्जर प्रतिहार वंश के बारे में इतना ही जानता है तो पहले इसको अपनी जाति का ज्ञान होना चाहिए इसके खुद के अंदर तो दम है नहीं यह मुस्लिम धर्म ग्रहण कर लिया क्यों भाई अगर तुझे हिंदुत्व का इतना प्यार है हमारे समाज का इतना तुझे परेशानी हो रही है तू वापस हिंदू बन जा फिर आकर बोल हमारे समाज के बारे में दोनों के बारे में तुझे बोलने की कोई पंचायत नहीं हमारे ठीक है और रही बात राजपूत गुर्जरों की हमारा आपसे मामला है कुछ भी हो जाए तो कुछ भी हो हिंदू धर्म से संबंधित है धर्म परिवर्तन कर फिर बोलना राजपूत जाट और गुर्जर के बारे में जय भवानी जय एकलिंग जी जय मेवाड़ जय राजपूताना
जवाब देंहटाएंगुर्जर सिख गुर्जर जैन गुर्जर मुस्लिम गुर्जर हिंदू लेकिन सबसे पहले गुर्जर तुम्हारी
हटाएंYe kya baat hui ji. Maharana pratap, prithviraj ko aapni jati ka banalo aur man singh aur raja jaychand ko to rajput hi rahne do. Gajab ka doglapan he yar. Rajputo se itni jalan kyu?
जवाब देंहटाएंGurjar bhi Chahiye the pehle Muglon se haarne ke baad woh Gochar ban gaye par dharm nahi badla. Ye musalmaan jaati ka fayda uthate he, musalmaan jaante hai ki foot daalo Or ekta todo.
जवाब देंहटाएंJaat, Gurjar, Yadav Or koi nahi Chahiye hi the Par Musalmaano se haarne ke baad inhone apna Dharm nahi badla, toh musalmaan ne socha agar Chatriye Rajput bane rahenge toh baad me phir ek hojayenge Or Hamla kar denge toh inhone on sabhi ko jo Jung me haar gaye the unhe Gurjar, Jaat, Yadav bana diya.
Kyunki Musalmaan Delhi Or Agra pe baith ke Raj karte the Or unme toh bahut ekta thi par unhe dar tha ki kahi ye Jung me haare huye Chatriye Rajput agar hamare hi aas pass rahenge toh baad me phir Jung ka ailaan kar denge or Chatriye Rajput apna sar kata dete the par Apna Dharm nahi badalte the, phir Muglon ne Socha baad me phir koi Jung shuru naa ho jaye, Isliye inki jansankhya hi kam kardo toh Delhi Agra ke ass pass ke sabhi Chatriye Rajputon ko Jaat, Gurjar Or Yadav bana diya or Rajput Raja Madan Singh Rathore ke kehne par kuch Chatriye Rajput ko san 1500 ki shatabdi me sikh bana diya. Aaj bhi bahut se Jaat, Gurjar, Yadav, Or Sikh Singh lagate hai. Jara Sochiye aaj paison ke jamaane me Musalmaan Hindu ladkiyon ko Muslim bana ke apni kom badha rahe, kyunki jab ladki hi nahi rahegi toh phir Hindu ke aane wali aabadi jyada nahi badhegi Or Musalmaano ne toh pehle hi apne Dharm ko badhane ke liye 3 nikaah (Marriage) ko anumati de rakhi hai. Pehle Jaat hi badaldo Or ladkiyon ko HARAM me shaamil kar do Or aabadi kam karo or apni badha do, Ye shatranj ke bade waale khiladi hai (Musalmaan).
Inse jitne ka bas ek hi tarika hai, EKTA (Unity).
Jara Sochiye
अच्छा जो राजपूत खुद तेरहवीं शताब्दी के हैं उनको मुसलमानों ने उन गुर्जर और यादव बना दिया जिनकी उपस्थिति त्रेता युग में भी उल्लेखित है। """"वाह क्या कहानी गढ़ी है खाली बैठकर""""
हटाएंGurjar bhi Chattriye the pehle,Muglon se haarne ke baad woh Gochar bana diye gaye kyunki unhone dharm nahi badla. Ye musalmaan jaati ka fayda uthate he, musalmaan jaante hai ki foot daalo Or ekta todo. Musalmaan dobara Jung nahi chahte the.
जवाब देंहटाएंJaat, Gurjar, Yadav Or koi nahi Chattriye hi the Par Musalmaano se haarne ke baad inhone apna Dharm nahi badla, toh musalmaan ne socha agar Chatriye Rajput bane rahenge toh baad me phir ek hojayenge Or Hamla kar denge toh inhone on sabhi ko jo Jung me haar gaye the unhe Gurjar, Jaat, Yadav bana diya.
Kyunki Musalmaan Delhi Or Agra pe baith ke Raj karte the Or unme toh bahut ekta thi par unhe dar tha ki kahi ye Jung me haare huye Chatriye Rajput agar hamare hi aas pass rahenge toh baad me phir Jung ka ailaan kar denge or Chatriye Rajput apna sar kata dete the par Apna Dharm nahi badalte the, phir Muglon ne Socha baad me phir koi Jung shuru naa ho jaye, Isliye inki jansankhya hi kam kardo toh Delhi Agra ke ass pass ke sabhi Chatriye Rajputon ko Jaat, Gurjar Or Yadav bana diya Par Rajput Raja Madan Singh Rathore ne inki chaal pakad li Jaati badalne ki Or unke kehne par kuch Chatriye Rajput ko san 1500 ki shatabdi me Sikh bana diya taaki Chattriye Rajput naa sahi toh Sikh hi sahi or Guru Har Gobind Singh ji ko Musalamaanon ki chaal ke baare me sab samjhaya. Aaj bhi bahut se Jaat, Gurjar, Yadav, Or Sikh Singh lagate hai. Muglon ne Jaat, Gurjar Or yadav bana ke Chattriye ko alag kiya phir Rajput Raja ne Hindustan bachaane ke liye Sikh Dharm bana diya. Jara Sochiye aaj paison ke jamaane me Musalmaan Hindu ladkiyon ko Muslim bana ke apni kom badha rahe, kyunki jab ladki hi nahi rahegi toh phir Hindu ke aane wali aabadi jyada nahi badhegi Or Musalmaano ne toh pehle hi apne Dharm ko badhane ke liye 3 nikaah (Marriage) ko anumati de rakhi hai. Pehle Jaat hi badaldo Or ladkiyon ko HARAM me shaamil kar do Or aabadi kam karo or apni badha do, Ye shatranj ke bade waale khiladi hai (Musalmaan).
Inse jitne ka bas ek hi tarika hai, EKTA (Unity). Hamara Itihas (History) Muglon ne hi likha hai toh samajh lijiye sacch kisne chupaya tha.
Jara Sochiye
Gurjar bhi Chattriye the pehle Muglon se haarne ke baad woh Gochar bana diye gaye par dharm nahi badla. Ye musalmaan jaati ka fayda uthate he, musalmaan jaante hai ki foot daalo Or ekta todo.
जवाब देंहटाएंJaat, Gurjar, Yadav Or koi nahi Chattriye hi the Par Musalmaano se haarne ke baad inhone apna Dharm nahi badla, toh musalmaan ne socha agar Chatriye Rajput bane rahenge toh baad me phir ek hojayenge Or Hamla kar denge toh inhone on sabhi ko jo Jung me haar gaye the unhe Gurjar, Jaat, Yadav bana diya.
Kyunki Musalmaan Delhi Or Agra pe baith ke Raj karte the Or unme toh bahut ekta thi par unhe dar tha ki kahi ye Jung me haare huye Chatriye Rajput agar hamare hi aas pass rahenge toh baad me phir Jung ka ailaan kar denge or Chatriye Rajput apna sar kata dete the par Apna Dharm nahi badalte the, phir Muglon ne Socha baad me phir koi Jung shuru naa ho jaye, Isliye inki jansankhya hi kam kardo toh Delhi Agra ke ass pass ke sabhi Chatriye Rajputon ko Jaat, Gurjar Or Yadav bana diya par Rajput Raja Madan Singh Rathore inki chaal samajh chuke the or unke kehne par kuch Chattiye Rajput ko sann 1500 ki shatabdi me sikh bana diya or Guru Har Gobind Singh Ji ko Musalmaan ku chaal ke baare me sab samjhaya. Aaj bhi bahut se Jaat, Gurjar, Yadav, Or Sikh Singh lagate hai. Jara Sochiye aaj paison ke jamaane me Musalmaan Hindu ladkiyon ko Muslim bana ke apni kom badha rahe, kyunki jab ladki hi nahi rahegi toh phir Hindu ke aane wali aabadi jyada nahi badhegi Or Musalmaano ne toh pehle hi apne Dharm ko badhane ke liye 3 nikaah (Marriage) ko anumati de rakhi hai. Pehle Jaat hi badaldo Or ladkiyon ko HARAM me shaamil kar do Or aabadi kam karo or apni badha do, Ye Shatranj ke bade waale khiladi hai (Musalmaan).
Inse jitne ka bas ek hi tarika hai, EKTA (Unity). Hindustan ka itihaas (History) Muglon ne likha tha toh Sacch (Truth) kisne chupaya hoga? Muglon ne hi.
Jara Sochiye
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जवाब देंहटाएंGUJJAR SAMAJ KA ITIHAAS HISTORY
Gujjar sale Bhains Chor the Itihaas Gavah hai 🤔🤔🤔🧐🧐🧐💯💯💯
Gujjar Samaj ke logon ke Baap Dada pahle Bhains Churane ka kam Karte the aur Beta dusron ka Gotra Caste Surname Upnaam Itihas History ko Chura rahe hai
Gujjar Samaj Ke Log har kisi ko bhi apna baap bana lete hai 🤔🤔🤔🧐🧐🧐💯💯💯
Sardar Vallabhbhai Patel Kurmi Patidar Samaj se the na ki Gujjar samaj se samjha kya chutiya
Samrat Mihir Bhoj pratihar Rajput vansh ke Raja the na ki Gujjar samaj se samjha kya chutiya
Prithvi Raj Singh Chauhan Rajput vansh ke Raja the na ki Gujjar samaj se samjha kya chutiya
Kabhi school college mein jakar Itihaas History ko padh lena beta samjha kya
🤔🤔🤔🧐🧐🧐💯💯💯
Gujjar Samaj Ke Logon ke Baap Dada ke purvaj kaun the
Gujjar Samaj Ke Logon ke Baap Dada ke purvaj Brahman Rajput Jaat Baniya Kurmi Samaj ke log the aur hamesha rahege
Gujjar Samaj Ke Log apna DNA test karva ke Dekh Lena tumhare Baap Dada ke purvaj Brahman Rajput Jaat Baniya Kurmi Samaj ke log the Gujjar Samaj Ke Log Brahman Rajput Jaat Baniya Kurmi Samaj ke logon ke Naajayaz Aulad hote hai sach hamesha kadva hota hai lekin asardar hota hai chahe log Mane ya Na mane
Gujjar Samaj Ke Logon Ko main saboot dikhta hun 🤔🤔🤔🧐🧐🧐💯💯💯
Nagar Rawal Pradhan Brahman Samaj ka Gotra Caste Surname Upnaam Hai
Tanwar Bhati Chauhan Solanki Parmar Pratihar sisodiya Tomar Rana chandela Panwar Rawat Rathore Rajput Samaj ka Gotra Caste Surname Upnaam Hai
Choudhary Rathi Khokhar Jaat Samaj ka Gotra Caste Surname Upnaam Hai
Bansal Lohia singhal Pondar Baniya samaj ka Gotra Caste Surname Upnaam Hai
Patel Verma Bhosle Kunbi Kurmi Patidar Samaj ka Gotra Caste Surname Upnaam Hai
Gujjar Samaj Ke Logon Ko agar Meri baat per bharosa na ho to in sab Gotra Caste Surname Upnaam Itihas History ko Google per jakar search kar ke dekh lena sachai pata chal jayega
Gujjar ka matalab Sanskrit mein Shatru nashak nahin hota hai
Gujjar ka matalab Gu 💩💩💩💩🤮🤮🤮🤮 ka Jad hota hai
Gujjar Gand ka Gu 💩💩💩💩🤮🤮🤮🤮 Tatti hota hai
Gujjar Gandu hote hai 🤔🤔🤔🧐🧐🧐💯💯💯
Gujjar Samaj Ke Logon ne sabse jyada Islam dharm ko kabul kiya hai
Bharat se lekar Pakistan se lekar Afghanistan tak Gujjar Muslim hai
Sach hamesha kadva hota hai lekin asardar hota hai chahe log Mane ya na mane sachai Ki hamesha jeet hoti hai
Hafiz Shahid Masood Azhar donon hi aatankwadi Muslim Gujjar hai
Bharat mein Rajasthan Haryana Uttar Pradesh main Gujjar Hindu hai baki sab state mein Gurjar Muslim hai
Sach Hamesha kadwa hota hai lekin asardar Hota Hai Chahe log Mane ya Na Mane sachai ki Hamesha Jeet hoti hai 🤔🤔🤔🧐🧐🧐💯💯💯
Apna no. Aur thikana bata net par bakwaad Ka kya fayda asli mard ki pehchaan yuddh kshetra mein Hoti hai
हटाएंAbe chaman chutiye apni mas behno se puch muglo ki talware dekhkar unki salwar niche ho jaati thi phir ye hi gujjar teri maa behno ki ijjat bachte the abe muglo ki auladon ab chalte ho mucho me ainthe dekar hum lundput he abe sali apne Baap dada se puch kon hai gujjar
हटाएंSbse pehle swayebhum rishi hai jo mnu bhi the
जवाब देंहटाएंUnse hi sare vans nikle jo sbse pehle rishi Rajkumar the sirf bharat ki history nhi akhand bharat ki history jano khud ke gyata na bno
जवाब देंहटाएंJo aapas me ld rhe tumhara naam 16 mahajanpado me choro 200 jnpdo me bhi nhi tha😃
जवाब देंहटाएंAb ye mt kehna jo 16 jnpd me raja the wo rajput the rajput word us time nhi tha rajayna word tha is word se hi rajput word nikla wo bhi sirf 2 jnpd pe rajayna word lga
जवाब देंहटाएंOr sunlo gandhar kamboj se pehle na koi gurjar tha na koi rajput tha 😀 kamboj Kshatriya ancient worriers world top black & white 🐴 sirf kambojo pe the
जवाब देंहटाएंगुरज्जरों के साथ हमेशा से ही धोखा हुआ है 🙏
जवाब देंहटाएंसचाई हमेशा कुछ और हिं रहि है
Badgujjar Se Gujjar Nikla Hain Gujjar
जवाब देंहटाएंLog Rajputon Ki Nayazay Aulad Hain
Gujjar Log Apna DNA Test Karva Kar Dekh
Lena Sacchai Pata Chal Jayega
Gujjar Georgia Se Aaye The Hoon Ki
Nayazay Aulad Hain Gujaar
Gujjar Log Muslimon Ki Nayazay Aulad
Hain Gujjar Log Pahle Mughal Badshah
Ka Bhains Churate The Fir Uske Baad
Angrejon Ka Bhains Churate The Fir
Uske Baad Ab Logon Ka Bhains Churate
Hain Gujjar Log Bhains Churate Churate
Ab Logon Ka Gotra Caste Surname Upnaam
Itihaas History Ko Chura Rahe Hain
Dusron Ko Apna Baap Bana Rahe Hain
Gujjar Log 100 Land Ki Naajayaz
Paradise Hote Hain
Gujjar Ka Matlab Gujjar Gand Ka
Gu 💩💩💩🤮🤮🤮 Tatti Ka Jar Hota Hain
Mera no 8802811213 hai gurjar hoo aamhi samhi bhid liye Rajput hai Tu bham door Kar dunga
हटाएंOr mera naak sandeep Gujjar hai mobile no 08527339343 saale tu apna address bta
हटाएं
जवाब देंहटाएंGujjar Lujjar Log Bhed Bakri Bhains
Churate Churate Ab Logon Ka Gotra
Caste Surname Upnaam Itihas History Ko
Chura Rahe Hain Dusron Ko Apna Baap
Bana Rahe Hain Jammu And Kashmir
Himachal Pradesh Bharat Pakistan
Afghanistan Main Gujjar Log Muslim Hain
Aur Bhed Bakri Bhains Chalate Hain
Hafiz Saeed Masood Azhar
Lashkar-e-Taiba Jaise Khatarnak
Aatankwadi Muslim Gujjar Hain Aur
Gujjar Ke Fufa Ji Hain Jammu And
Kashmir Mein Jitne Bhi Aantgwadi Pakde
Jate Hain Ya Mare Jate Hain Sab Ke
Muslim Gujjar Hote Hain Indian Army
Aur Indian Police Unke Pichhwade Main
Pittle Bhar Deti Hain
Gujjar Log Apni Maa Bahan Betiyon Ko
Hum Musalmanon Khoob Chudwate Hain
Gujjar Log Hum Musalmanon Ki Naajayaz
Aulad Hote Hain Gujjar Log Apna DNA
Test Karva Kar Dekh Sakte Hain
Gujjar Log 100 Land Ki Ek Naajayaz
Aulad Hote Hain Gujjari Har Kisi Se
Chodwa Leti Hain Aur Apne Bacchon Ka
Kisi Ko Bhi Bana Deti Hain
Gujjar Ka Matlab Gujjar Gand Ka
Gu 💩💩💩💩🤮🤮🤮🤮 Tatti Ka Jar Hota
Hain Aur Hamesha Rahega
Jagah bata Kahan milega phone par bhaukne Ka kya fayda
हटाएंSaale to tu mulla hai ktwe Teri bahn ki chut address bta
हटाएंTri maa bahan patni beti ki chut chod Kar tujhe ek bhai doonga tujhe mama banuga tujhe nana banuga tujhe Teri patni ka dalal banuga Randi ke beej jodha Akbar se chudi Rajput thi jahangeer ki maa Rajput thi shahjahan ki maa Rajput thi Shakti Singh Maan Singh Akbar ke saale Rajput the inme se koi Bhi gurjar Nahi tha saale mullah tum ho hum Nahi address Tu bata tera baap tera jija tera damaad aur Teri patni ko chodne wala khud as javega
हटाएंgoojari ki choot jama hi kasoot sexy rakhel goojariyan mehlo me chudti thy rakhel bnke ye thakuro ki haveli me apni londi daal dete thy jameen ke liye isiliye hamare surname lagake goom rahe hai inki londi ki chuche moti or choot tight hoti hai . tughluq ne bhi goojari mahal banvaya thaa apni rakhel ke liye usi ki najayz aulaad ye gochar hai
हटाएंGujjar Samaj Ka Itihaas History
जवाब देंहटाएंGujjar Lujjar Log Bhed Bakri Bhains
Churate Churate Ab Logon Ka Gotra
Caste Surname Upnaam Itihas History
Ko Chura Rahe Hain Dusron Ko Apna Baap
Bana Rahe Hain
Gujjar Samaj Ko Example Deta Hun Main
Nagar Rawal Pradhan Etc Brahman Samaj
Ke Logon Ka Gotra Caste Surname Upnaam
Hota Hain
Tanwar Panwar Bhati Chauhan Chandela
Tomar Pratihar Solanki Sisodiya Parmar
Rana Lodhi Rathore Etc Rajput Samaj Ke
Logon Ka Gotra Caste Surname Upnaam
Hota Hain
Bansal Lohia Singhal Pondar Etc Baniya
Samaj Ke Logon Ka Gotra Caste Surname
Upnaam Hota Hain
Chaudhray Rathi Khokhar Etc Jaat Samaj
Ke Logon Ka Gotra Caste Surname Upnaam
Hota Hain
Patel Verma Bhosle Etc Kunbi Kurmi
Pattidar Samaj Ke Logon Ka Gotra Caste
Surname Upnaam Hota Hain
Gujjar Samaj Ke Log Yah Sab Gotra Caste
Surname Upnaam Ko Google Per Jakar
Search Kar Ke Dekh Lena Sacchai Pata
Chal Jayega
Gujjar Samaj Ke Log Brahman Rajput
Baniya Jaat Kurmi Samaj Ke Logon Ke
Naajayaz Aulad Hote Hain
Gujjar Samaj Ke Log Apna DNA Test Karva
Dekh Lena Sacchai Pata Chal Jayega
Sach Hamesha Kadva Hota Hain Chahe
Log Mane ya Na Mane
Sach Ka pata bhi lag javega jab aamhi samhi bhidega Tu jahan kahega wahin bahm door Kar doonga tera aur maa bahan ki gaali Mai bhi deni jaanta hoon lekin gurjar hoon shtriyon ki izzat Karna bhi jaanta hoo Mai sirf tere baare Mai bola hoon aur ek Baar fir kehata hoon bhid ke dekh
हटाएं1200se phele rajputon ka koi pata nahi tha or usase phale gurjar raj rarte the to bap kon hua to rajputon ke bap gurjar he or ma ka pata nahi dna test karba lo pata chal jayaga
हटाएंKushans were Gujjar who were foreign power. During that period, part under their rule is called Gurjara but Pratihara kings threw then out this country and that's why it's called gurjara pratihara. And also u find more population of gujjars in Pakistan, Afghanistan etc despite 137 crore population of Indian.
जवाब देंहटाएंगुर्जर ब्राह्मण भी गुर्जर लिखते हैं। गुर्जर नाम मध्य एशिया और तातार में नहीं था लेकिन हून था और गुर्जरों का एक कबीला हुन कहलाता है। गुर्जर गौड़ ब्राह्मण के गोत्र बारह हैं कुल देविया राजपूतों की तरह हैं। राजपूतों में बारह ऋषि कुल हैं । अंगिरा ब्रह्म ऋषि को कहा जाता था पहिले राजर्षी थे तब मुखिया विश्वामित्र कहलाता था। ये अंगिरा शैव थे तिब्बत नेपाल में रहते थे इन्हीं को चीनी हंगुट कहते थे।banasur राजा की पदवी थी राजधानी असम के शोणितपुर थी। सेनापति कार्तिकेय कहलाता था जिसे मार्श भी कहते थे जिसकी मूर्ति के छह सिर थे जिसकी पूजा जेटी यानी दैत्य जाति करती थी। मार्श यानी मंगल से ही मंगोल पैदा हुए। मंगोल चीन मंगोलिया में और अंगुत तिब्बत नेपाल में । दैत्य banasur असम, बर्मा बंगाल में रहते थे कृष्ण के टाइम में। 1000 ई पू में कृष्ण ने इनको हरा दिया तब ये भारत के बजाय चीन ततार की तरफ बढ़ गए। ये सभी लोग राजपूत कहलाते थे। राजपूतों के छत्तीस कुल में एक कुल काबा कहलाता था कवि मतीराम ने काबा कुल का छत्तीस कूलों में उल्लेख किया है जबकि चन्द्र बर्दाई ने इसको कविनिस कहा है और अभी गर्गवांशी कहलाता है। इसी कुल के राजपूतों ने कृष्ण पर अटैक करके द्वारिका छीन ली थी। राजपूत महाभारत काल में बलूचिस्तान से मंगोलिया टक रहने लगे थे जिनको कृष्ण ने आपस में लड़ा कर दो धड़ों में बांट दिया था। दूसरा धड़ा भारत में रह गया था जिसने सोलह महा जनपद बनाए। नंद राजा ने इनका राज्य समाप्त कर दिया तब राज परिवार भागकर झेलम के राजा पौरुष की शरण में आए उसने इनको जीवन यापन लायक जमीनें दे दी थी जिस पर कृषि करके गुजरा करने लगे थे। यही जाति जाट कहलाने लगी। इन्हीं में चन्द्रगुप्त मौर्य था जो यूनानियों से मिल गया तथा ताछ शीला का राजा बन गया। बहुत से यूनानी भी जुड़ गए और वे भी जाट समाज का अंग बन गए। इन्होंने ही यवन राजा की सहायता से नंद राजा को खत्म किया था तथा पाटिल पुत्र और ताच्छ शीला राजधानियां बन गई। ऊईघर और तिब्बत में रहने वाले ऋषि वंशी राजपूतों ने maurya जाति का राज्य नस्ट कर दिया। यही हंगनु जाति शुंग नाम से जानी गई। ये ऋषि वंशियों का साम्राज्य था। इसके साथ जाटों का पतन हो गया। हुंगी यूहची यानी युसुफजई, हुन आदि उत्तारापथ में रहते थे उन्हीं की एक शाखा आबू में रहने लगी जो गुर्जर कहलाई। इसी शाखा के ऋषि वंशी गुर्जर ब्राह्मण कहलाते है और छत्री गुर्जर कहलाने लगे तथा उत्तर में ये ताकवर यानी ठाकुर कहलाते थे। बप्पा रावल के साम्राज्य की एक राजधानी खुरासान यानी मध्य एशिया में दूसरी आबू में थी। आबू की शाखा गुर्जर और खुरासानी पठान कहलायी। पठान ही रूहेला कहलाते थे। गुर्जरों और पठानों का कुलीन तबका राजपूत कहलाता था तथा उन्ही से राजपूतों की उत्पत्ति हुई। गुर्जर, जाट जातीय रूप से राजपूतों के दूर के संबंधी हैं। यदि इनमें किसी को किसी की जरूरत पड़े तो गुर्जर, जाट, राजपूत, पठान, गुर्जर ब्राह्मण यूनिटी बना सकते हैं ब्लड दूषित नहीं होगा। फ्यूचर में एक और हरित की जरूरत है जो गुर्जर वंशी ब्राह्मण था जिसने राजपूतों को United किया था।
जवाब देंहटाएंGujjar Bhains 🐃🐃🐃 Chor Hun Main I Am Proud Of To Be Gujjar Bhains 🐃🐃🐃 Chor Community 🤔🤔🤔😎😎😎💪💪💪
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जवाब देंहटाएंSamrat Kanishka Kushan Yuezhi Jaati Ke
The Vah Ek Buddhist Raja Tha Vah China
Se Aaya Tha 🤔😝🤭
Badgujjar Samrat Mihir Bhoj Pratihar
Kashtiya Rajput Vansh Ke Raja The Vah
Gujarata Pradesh Ke Raja The 🤔😝🤭
Samrat Raja Bhoj Parmar Kashtiya Rajput
Vansh Ke Raja The Vah Madhya Pradesh Ke
Raja The 🤔😝🤭
Samrat Bappa Rawal Kashtiya Rajput
Vansh Ke Raja The Vah Rajsthan Ke Raja
The 🤔😝🤭
Samrat Prithviraj Singh Chauhan
Kashtiya Rajput Vansh Ke Raja The Vah
Rajsthan Ke Raja The 🤔😝🤭
Samrat Anangpal Tomar Kashtiya Rajput
Vansh Ke Raja The Vah Dehli Ke Raja
The 🤔😝🤭
Maharaja Mansingh Tomar Kashtiya Rajput
Vansh Ke Raja The Vah Madhya Pradesh Ke
Raja The 🤔😝🤭
Maharaja Chhatrapati Shivaji Maharaj
Bhosle Sisodiya Kashtiya Rajput Vansh
Ke Raja The Vah Maharshtra Ke Raja
The 🤔😝🤭
Sardar Vallabhbhai Patel Patidar Kurmi
Samaj Se The Vah Gujrat Se The 🤔😝🤭
Bhagwan Shree Ram Kachhwaha Suryavanshi
Kashtiya Rajput Parivar Main Janam Liye
The 🤔😝🤭
Bhagwan Shree Krishna Yaduvanshi
Chandravanshi Kashtiya Rajput Parivar
Main Janam Liye The Unka Palan Pushan
Nand Baba Maa Yashoda Ahir Gwala Shudra
Logon Ke Ghar Main Hua Tha 🤔😝🤭
Bhagwan Gautam Buddh Ka Janam Shakya
Suryavanshi Kashtiya Rajput Parivar
Main Hua Tha Unka Bachpan Ka Naam
Siddharth Shakya Tha 🤔😝🤭
Jakar School College 🏫🏫🏫🎒🎒🎒 Main
Itihaas History Ko Pad 🗒️🗒️🗒️ Lena
Samjha Kya Beta Gujjar Bhains 🐃🐃🐃
Chor Gujjari Bakri 🐐🐐🐐 Chor Itihaas
History Choro Ki Biradari Hai Yah Log
Sab Ko Apna Baap Gujjar Bhains 🐃🐃🐃
Chor Aur Apni Maa Gujjari Bakri 🐐🐐🐐
Chor Bana Dete Hai Kya Baat Hai Beta
🤔😝🤭
Gujjar Gujjari Bhed Bakri Bhains
🐏🐏🐏🐐🐐🐐🐃🐃🐃 Charane Wale
Charwaha Bakarwal Khanabadosh Gujjar
Biradari Hai 🤔🤔🤔😂😂😂😝😝😝😎😎😎
💪💪💪
जवाब देंहटाएंNagar Bhatnagar Rawal Pradhan
Gujjargaur Etc Brahman Pandit Samaj Ke
Logon Ka Gotra Caste Surname Upnaam
Title Hota Hai 🤔😝🤭
Panwar Tanwar Tomar Rana Bhati Chauhan
Solnki Sisodiya Pratihar Parmar Pundir
Chandel Gahlot Rawat Lodhi Bhosle
Kachhwaha Yaduvanshi Shakya Suryavanshi
Chandravanshi Badgujjar Etc Kashtiya
Rajput Samaj Ke Logon Ka Gotra Caste
Surname Upnaam Title Hota Hai 🤔😝🤭
Bansal Pondar Singhal Lodha Etc Vaisya
Baniya Samaj Ke Logon Ka Gotra Caste
Surname Upnaam Title Hota Hai 🤔😝🤭
Kohli Bhatia Gujral Etc Punjabi Khatri
Samaj Ke Logon Ka Gotra Caste Surname
Upnam Title Hota Hai 🤔😝🤭
Choudhary Malik Rathi Dahiya Etc
Jaat Samaj Ke Logon Ka Gotra Caste
Surname Upnaam Title Hota Hai 🤔😝🤭
Patel Verma Etc Patidar Kurmi Samaj Ke
Logon Ka Gotra Caste Surname Upnaam
Title Hota Hai 🤔😝🤭
Vishwakarma Lohia Gajjar Etc
Lohar Samaj Ke Logon Ka Gotra Caste
Surname Upnaam Title Hota Hai 🤔😝🤭
Gujjar Bhains 🐃🐃🐃 Chor Gujjari
Bakri 🐐🐐🐐 Chor Itihaas History
Choro Ki Biradari Jakar Google Per
Search 🔍🔎 Kar Ke Dekh Lena Tumare
Baap Dada Ke Purvaj Mil Jayege 😜😜😜
😎😎😎💪💪💪
Gujjargaur Brahman Pandit Samaj Ke
Logon Ki Naajayaz Aulad Hote Hai
Gujjar Bhains 🐃🐃🐃 Chor Gujjari
Bakri 🐐🐐🐐 Chor Itihaas History
Choro Ki Biradari Hai Jakar Apna DNA
🧬🧬🧬 Test Karva Kar Dekh Lena Samjha
Kya Beta 🤔😝🤭
Badgujjar Kashtiya Rajput Samaj Ke
Logon Ki Naajayaz Aulad Hote Hai
Gujjar Bhains 🐃🐃🐃 Chor Gujjari
Bakri 🐐🐐🐐 Chor Itihaas History
Choro Ki Biradari Hai Jakar Apna DNA
🧬🧬🧬 Test Karva Kar Dekh Lena Samjha
Kya Beta 🤔😝🤭
Gujral Punjabi Khatri Samaj Ke Logon Ki
Naajayaz Aulad Hote Hai
Gujjar Bhains 🐃🐃🐃 Chor Gujjari
Bakri 🐐🐐🐐 Chor Itihaas History
Choro Ki Biradari Hai Jakar Apna
DNA 🧬🧬🧬 Test Karwa Kar Dekh Lena
Samjha Kya Beta 🤔😝🤭
Gajjar Lohar Samaj Ke Logon Ki Naajayaz
Aulad Hote Hai
Gujjar Bhains 🐃🐃🐃 Chor Gujjari
Bakri 🐐🐐🐐 Chor Itihaas History
Choro Ki Biradari Hai Jakar Apna DNA
🧬🧬🧬 Test Karva Kar Dekh Lena Samjha
Kya Beta 🤔😝🤭
Gujjar Gujjari Bhed Bakri Bhains
🐏🐏🐏🐐🐐🐐🐃🐃🐃 Charane Wale
Charwaha Bakarwal Khanabadosh Gujjar
Biradari Hai 🤔🤔🤔😂😂😂😜😜😜😎😎😎
💪💪💪
जवाब देंहटाएंBahut Sare Itihaas Karo Ke Anusar
Gujjar Bhains 🐃🐃🐃 Chor Gujjari
Bakri 🐐🐐🐐 Chor Itihaas History
Choro Ki Biradari Georgia Se Aaye The
Hun Ke Sath Bharat Main Gujjar Bhains
🐃🐃🐃 Chor Gujjari Bakri 🐐🐐🐐 Chor
Itihaas History Choro Ki Biradari Huns
Ki Naajayaz Aulad Hai Jakar Apna DNA
🧬🧬🧬 Test Karva Kar Dekh Lena Samjha
Kya Beta Jakar Apne Baap Hun Ka Itihaas
History Ko Pad 🗒️🗒️🗒️ Lena Samjha Kya
Beta Gujjar Gujjari Bhed Bakri Bhains
🐏🐏🐏🐐🐐🐐🐃🐃🐃 Charane Wale
Charwaha Bakarwal Khanabadosh Gujjar
Biradari Hai 🤔🤔🤔😎😎😎💪💪💪
जवाब देंहटाएंBahut Sare Itihaas Karo Ke Anusar
Gujjar Bhains 🐃🐃🐃 Chor Gujjari
Bakri 🐐🐐🐐 Chor Itihaas History
Choro Ki Biradari Hai Yah Log Sab Ko
Apna Baap Gujjar Bhains 🐃🐃🐃 Chor
Aur Apni Maa Gujjari Bakri 🐐🐐🐐 Chor
Bana Dete Hai Kya Baat Hai Beta 🤔🤔🤔
Gujjar Bhains 🐃🐃🐃 Chor Gujjari
Bakri 🐐🐐🐐 Chor Mughal Badshah Firoz
Shah Tughlaq Ki Naajayaz Aulad Hai
Jakar Apna DNA 🧬🧬🧬 Test Karwa Kar
Dekh Kar Dekh Lena Samjha Kya Beta
Jakar Hisar Haryana Main Apni Maa Ki
Haveli Gujjari Mahal Dekh Lena Itihaas
History Ko Pad 🗒️🗒️🗒️ Lena Samjha Kya
Beta Gujjar Gujjari Bhed Bakri Bhains
🐏🐏🐏🐐🐐🐐🐃🐃🐃 Charane Wale
Charwaha Bakarwal Khanabadosh Gujjar
Biradari Hai 🤔🤔🤔😎😎😎💪💪💪
जवाब देंहटाएंBahut Sare Itihaas Karo Ke Anusar
Gujjar Bhains 🐃🐃🐃 Chor Gujjari
Bakri 🐐🐐🐐 Chor Itihaas History
Choro Ki Biradari Hai Yah Log Sab Ko
Apna Baap Gujjar Bhains 🐃🐃🐃 Chor
Aur Apni Maa Gujjari Bakri 🐐🐐🐐 Chor
Bana Dete Hai Kya Baat Hai Beta 🤔🤔🤔
Gujjar Bhains 🐃🐃🐃 Chor Gujjari
Bakri 🐐🐐🐐 Chor Kashtiya Rajput
Maharaja Mansingh Tomar Ki Naajayaz
Aulad Hai Jakar Apna DNA 🧬🧬🧬 Test
Karwa Kar Dekh Lena Samjha Kya Beta
Jakar Gwalior Madhya Pradesh Main Apni
Maa Ki Haveli Gujjari Mahal Dekh Lena
Itihaas History Ko Pad 🗒️🗒️🗒️ Lena
Samjha Kya Beta Gujjar Gujjari Bhed
Bakri Bhains 🐏🐏🐏🐐🐐🐐🐃🐃🐃
Charane Wale Charwaha Bakarwal
Khanabadosh Gujjar Biradri Hai
🤔🤔🤔😎😎😎💪💪💪
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जवाब देंहटाएं
जवाब देंहटाएंShambhu Nath Shukla Yah Patrakaar
Jhoot Bol Raha Hai 😂😂🤣🤣😝😝
Lagta Hai Isko Gujjar Bhains 🐃🐃🐃
Gujjari Bakri 🐐🐐🐐 Chor Itihaas
History Choro Ki Biradari Ne Noida
Faridabad Dehli NCR Ka Jameen Bech Kar
Achcha Khasa Paisa Liya Hoga Tabhi To
Bina Knowledge Jankari Ka Kuch Bhi
Likh Kar Chhap Diya Hai Kya Kya Proof
Sabud Hai 🤔🤔😂😂🤣🤣😜😜 Iske Pass
Dikhao Sab Ko Jo Man Main Aaya Vah Likh
Kar Chhap Diya Hai Shambhu Nath Shukl
Kitna Paisa Liya Hai Gujjar Gujjari
Bhed Bakri Bhains 🐏🐏🐏🐐🐐🐐🐃🐃🐃
Charane Wale Charwaha Bakarwal
Khanabadosh Gujjar Biradri Se Jara Sab
Ko Batana To 🤔🤔🤔😎😎😎💪💪💪
Gujjar Samaj Ka Itihaas History Ko
जवाब देंहटाएंBatane Ja Raha Hun Main Aap Logon Ko
🤔🤔🤔
Gujjar Bhains 🐃🐃🐃 Chor Gujjari
Bakri 🐐🐐🐐 Chor Itihaas History
Choro Ki Biradari Aaj Kal Dusron Ka
Itihaas History Ko Chura Rahe Hai
🤔😝🤭
Gujjar Bhains 🐃🐃🐃 Chor Gujjari
Bakri 🐐🐐🐐 Chor Itihaas History
Choro Ki Biradari Aaj Kal Dusron Ka
Gotra Caste Surname Upnaam Title Ko
Chura Rahe Hai 🤔😝🤭
Gujjar Bhains 🐃🐃🐃 Chor Gujjari
Bakri 🐐🐐🐐 Chor Itihaas History
Choro Ki Biradari Aaj Kal Dusron Ko
Apna Baap Dada Bana Rahe Hai 🤔😝🤭
Gujjar Gujjari Bhed Bakri Bhains
🐏🐏🐏🐐🐐🐐🐃🐃🐃 Charane Wale
Charwaha Bakarwal Khanabadosh Gujjar
Biradari Hai 🤔🤔🤔😂😂😂😜😜😜😎😎😎
💪💪💪
जवाब देंहटाएंGujjar Ka Full From Gujjar Ka Matalab
Gujjar Ham Sab Ke Gand Ka Gu 💩💩💩
Tatti Ka Jar Hota Hai
Gujjar Ham Sab Ke Gand Ka Gu 💩💩💩
Tatti Hota Hai
Gujjar Ham Sab Ke Gand Ka Gu 💩💩💩
Tatti Kha Le 😂😂🤣🤣😝😝😎😎💪💪
Kanishk Singh Tanwar Gujjar Bhains
🐃🐃🐃 Chor Lagta Hai Teri Maa Gujjari
Bakri 🐐🐐🐐 Chor Ko Kisi Tanwar
Rajput Ne Pela Tha Kya Gujjari Mahal
Main Le Jakar Tabhi To Apne Baap Ka
Gotra Caste Surname Upnaam Title
Tanwar Laga Rakha Hai Jakar Apna DNA
🧬🧬🧬Test Karwa Kar Dekh Lena Tera
Baap Mil Jayega Samjha Kya Beta
Gujjar Gujjari Bhed Bakri Bhains
🐏🐏🐏🐐🐐🐐🐃🐃🐃 Charane Wale
Charwaha Bakarwal Khanabadosh Gujjar
Biradari Hai 🤔🤔🤔😂😂😂😝😝😝😎😎😎
💪💪💪
जवाब देंहटाएंGujjar Samaj Ke Logon Ka Gotra Caste
Surname Upnaam Title In India
1 Awana
2 Adhana
3 Bhadana
4 Baisla
5 Bidhuri
6 Chaprana
7 Chechi
8 Chhokar
9 Dedha
10 Khatana
11 Kasana
12 Kapasia
13 Karhana
14 Harsana
15 Gujjar
16 Poswal
17 Sardhana
18 Hun
19 Mavi
20 Khari
Yah Sab Gotra Caste Surname Upnaam
Title Gujjar Samaj Ke Logon Ka Hai
All India Total Gujjar Population
2 Carore 10% Ke Aas Pass Hai 2011 Ke
Jangarna Ke Anusar
1 Rajsthan Main Total Gujjar Population
40 Lakh 6% Ke Aas Pass Hai
2 Uttar Pradesh Main Total Gujjar
Population Lagbhag 35 Lakh 1.5% Ke Aas
Pass Hai
3 Madhya Pradesh Main Total Gujjar
Population Lagbhag 30 Lakh Ke Aas Pass
Hai
4 Jammu And Kashmir Main Total Gujjar
Population Lagbhag 15 Lakh Ke Aas Pass
Hai
5 Haryana Main Total Gujjar Population
Lagbhag 10 Lakh 4% Ke Aas Pass Hai
6 Dehli Main Total Gujjar Population
Lagbhag 8 Lakh Ke Aas Pass Hai
7 Uttarakhand Main Total Gujjar
Population Lagbhag 10 Lakh Ke Aas Pass
Hai
8 Himachal Pradesh Main Total Gujjar
Population Lagbhag 2 Lakh Ke Aas Pass
Hai
9 Punjab Main Total Gujjar Papulation
Lagbhag 5 Lakh Ke Aas Pass Hai
10 Maharashtra Main Total Gujjar
Population Lagbhag 12 Lakh Ke Aas Pass
Hai
13 Gujrat Main Total Gujjar Population
Lagbhag 10 Lakh Ke Aas Pass Hai
All Pakistan Total Gujjar Population
Lagbhag 2 Carore 40 Lakh 20% Ke Aas
Pass Hai
Gujjar Samaj Ke Log Google Per Jakar
Search 🔍🔎 Kar Ke Dekh Lena Samjha
Kya 🤔🤔🤔😎😎😎💪💪💪
राजपूत एक जाती विशेष शब्द नही है,बना दिया गया है।
जवाब देंहटाएंक्योंकी, रजा के पुत्र को राजपुत्र कहे तो
राजकुमार शब्द का अर्थ क्या होगा?
राज यानि राज्य, राजपुत्र यानी राज्यपुत्र, मतलब
राज्यपुत्र नही हो सकता। राजा का पुत्र हो सकता हे।
मे एक हिन्दु हुं ,मे हिन्दु जाती के सभी क्षत्रीय जाती को
मान सन्मान देता हु। क्योंकि उन्हों ने कुछ खोया ही हे।
दुनिया के लिये धर्म के लिये।
राजस्थान ऐव भारत के इतिहास से पिछले कई सालों से
विशेषकर “गुर्जर”शब्द को मिटाने का कार्य चल रहा है।
मेरे स्वतंत्र विचार पेश किये हे। हो सकता हे गलत लगे।
लेकिन , नही है।
गुर्जर प्रतिहार फोर फादर ऑफ़ राजपूत
जवाब देंहटाएंचीनी यात्री हेन सांग (629-645 ई.) ने भीनमाल का बड़े अच्छे रूप में वर्णन किया है। उसने लिखा है कि “भीनमाल का 20 वर्षीय नवयुवक क्षत्रिय राजा अपने साहस और बुद्धि के लिए प्रसिद्ध है और वह बौद्ध-धर्म का अनुयायी है। यहां के चापवंशी गुर्जर बड़े शक्तिशाली और धनधान्यपूर्ण देश के स्वामी हैं।”
हेन सांग (629-645 ई.) के अनुसार सातवी शताब्दी में दक्षिणी गुजरात में भड़ोच राज्य भी विधमान था| भड़ोच राज्य के शासको के कई ताम्र पत्र प्राप्त हुए हैं, जिनसे इनकी वंशावली और इतिहास का पता चलता हैं| इन शासको ने स्वयं को गुर्जर राजाओ के वंश का माना हैं|
कर्नल जेम्स टोड कहते है राजपूताना कहलाने वाले इस विशाल रेतीले प्रदेश राजस्थान में, पुराने जमाने में राजपूत जाति का कोई चिन्ह नहीं मिलता परंतु मुझे सिंह समान गर्जने वाले गुर्जरों के शिलालेख मिलते हैं।
पं बालकृष्ण गौड लिखते है जिसको कहते है रजपूति इतिहास तेरहवीं सदी से पहले इसकी कही जिक्र तक नही है और कोई एक भी ऐसा शिलालेख दिखादो जिसमे रजपूत शब्द का नाम तक भी लिखा हो। लेकिन गुर्जर शब्द की भरमार है, अनेक शिलालेख तामपत्र है, अपार लेख है, काव्य, साहित्य, भग्न खन्डहरो मे गुर्जर संसकृति के सार गुंजते है ।अत: गुर्जर इतिहास को राजपूत इतिहास बनाने की ढेरो सफल-नाकाम कोशिशे कि गई।
इतिहासकार सर एथेलस्टेन बैनेस ने गुर्जर को सिसोदियास, चौहान, परमार, परिहार, चालुक्य और राजपूत के पूर्वज थे।
लेखक के एम मुंशी ने कहा परमार,तोमर चौहान और सोलंकी शाही गुज्जर वंश के थे।
स्मिथ ने कहा गुर्जर वंश, जिसने उत्तरी भारत में बड़े साम्राज्य पर शासन किया, और शिलालेख में “गुर्जर-प्रतिहार” के रूप में उल्लेख किया गया है, गुर्जरा जाति का था।
डॉ के। जमानदास यह भी कहते हैं कि प्रतिहार वंश गुर्जरों से निकला है, और यह “एक मजबूत धारणा उठाता है कि अन्य राजपूत समूह भी गुर्जरा के वंशज हैं।
डॉ० आर० भण्डारकर प्रतिहारों व अन्य अग्निवंशीय राजपूतों की गुर्जरों से उत्पत्ति मानते हैं।
जैकेसन ने गुर्जरों से अग्निवंशी राजपूतों की उत्पत्ति बतलाई है
राजपूत गुर्जर साम्राज्य के सामंत थे गुर्जर-साम्राज्य के पतन के बाद इन लोगों ने स्वतंत्र राज्य स्थापित किए
इतिहासकार डॉ ऑगस्टस होर्नले का मानना है कि तोमर गुर्जरा (या गुज्जर) के शासक वंश में से एक थे।
लेखक अब्दुल मलिक,जनरल सर कनिंघम के अनुसार, कानाउज के शासकों गुजर जाती
(गुजर पी -213 का इतिहास) 218)। उनका गोत्रा तोमर था
के.एम.पन्निकर ने”सर्वे ऑफ़ इंडियन हिस्ट्री “में लिखा है गुर्जरो ने चीनी साम्राज्य फारस के शहंसाह,मंगोल ,तुर्की,रोम ,मुगल और अरबों को खलीफाओं की आंधी को देश में घुसने से रोका और प्रतिहार (रक्षक)की उपाधि पायी,सुलेमान ने गुर्जरो को ईसलाम का बड़ा दुश्मन बताया था।
गुर्जर सम्राट मिहिर भोज वराहमिहिर प्रतिहार वंश के प्रतापी सम्राट थे । जो की गुर्जरो का ही एक वंश था ।राजपूत कोई जाति न होकर एक उपाधि थी ।यह उपाधि इसलिये दी जाती थी क्योकि मनुस्मृति मे राजा के वरिष्ठ पुत्र को राजा बनाने की मान्यता थी और शेष छोटे पुत्रो को राजा का पुत्र अर्थात राजपूत की उपाधि दी जाने लगी ।ओर कुछ लालची राजा के पुत्रो ने अपने बड़े भाई राजा को हटने के लिये मुगल शासकों को आर्यावर्त मे आमंत्रित किया । 13वी शताब्दी के बाद फिर इन्होने मुगलो के साथ मिलकर भारतीय राजाओ को पराजित करना शूरु कर दिया ।धीरे धीरे इनके पारिवारिक सम्बंध भी मुगलो के साथ स्थापित होने लगे अकबर के सेनापति राजा मानसिंह जिन्होंने महाराणा प्रताप जैसे योधा को हरने मे सहायता की थी राजपूत उपाधि से ही थे।
जवाब देंहटाएंवीर गुर्जर – प्रतिहार राजाओ के ऐतिहासिक अभिलैख प्रमाण
जवाब देंहटाएंप्रतिहार एक उपाधि(tital) थी जो राष्ट्रकूट राजा ने गुर्जर राजा को दी थी???????
1. सज्जन ताम्रपत्र (871 ई. ) :—
अमोघ वर्ष शक सम्वत
793 ( 871 ई . ) का
सज्जन ताम्र पञ ) :—- I
इस ताम्रपत्र अभिलेख मे लिखा है। कि राष्ट्र कूट शासक दन्तिदुर्ग ने 754 ई. मे “हिरण्य – गर्भ – महादान ” नामक यज्ञ किया अवांछित और खंडित दासवतारा गुफा शिलालेख का उल्लेख है कि दांतिदुर्ग ने उज्जैन में उपहार दिए थे और राजा का शिविर गुर्जरा महल उज्जैन में स्थित था (मजूमदार और दासगुप्त, भारत का एक व्यापक इतिहास)।
अमोगवरास (साका संवत 793 = एडी 871) के संजन तांबे की प्लेट शिलालेख दांतिदुर्ग को उज्जैनिस दरवाजे के रखवाले (एल, वॉल्यूम XVIII, पृष्ठ 243,11.6-7)तो इस शुभ अवसर पर गुर्जर आदि राजाओ ने यज्ञ की सफलता पूर्वक सचालन हेतु यज्ञ रक्षक ( प्रतिहार ) का कार्य किया । ( अर्थात यज्ञ रक्षक प्रतिहारी का कार्य किया )और प्रतिहार नाम दिया
( ” हिरणय गर्भ राज्यनै रुज्जयन्यां यदसितमा प्रतिहारी कृतं येन गुर्जरेशादि राजकम ” )
2. सिरूर शिलालेख ( :—-
यह शिलालेख गोविन्द – III के गुर्जर नागभट्ट – II एवम राजा चन्द्र कै साथ हुए युद्ध के सम्बन्ध मे यह अभिलेख है । जिसमे ” गुर्जरान ” गुर्जर राजाओ, गुर्जर सेनिको , गुर्जर जाति एवम गुर्जर राज्य सभी का बोध कराता है।
( केरल-मालव-सोराषट्रानस गुर्जरान )
{ सन्दर्भ :- उज्जयिनी का इतिहास एवम पुरातत्व – दीक्षित – पृष्ठ – 181 }
3. बडोदा ताम्रपत्र ( 811 ई.) :—
कर्क राज का बडोदा ताम्रपत्र शक स. 734 ( 811-812 ई ) इस अभिलेख मे गुर्जरैश्वर नागभट्ट – II का उल्लेख है ।
( गोडेन्द्र वगपति निर्जय दुविदग्ध सद गुर्जरैश्वर -दि गर्गलताम च यस्या नीतवा भुजं विहत मालव रक्षणार्थ स्वामी तथान्य राज्यदद फलानी भुडक्तै” )
{ सन्दर्भ :- इडियन एन्टी. भाग -12 पृष्ठ – 156-160 }
4. बगुम्रा-ताम्रपत्र ( 915 ई. )
इन्द्र – तृतीय का बगुम्रा -ताम्र पत्र शक सं. 837 ( 915 ई )
का अभिलेख मे गुर्जर सम्राट महेन्द्र पाल या महिपाल को दहाड़ता गुर्जर ( गर्जदै गुर्जर – गरजने वाला गुर्जर ) कहा गया है ।
( धारासारिणिसेन्द्र चापवलयै यस्येत्थमब्दागमे । गर्जदै – गुर्जर -सगर-व्यतिकरे जीणो जनारांसति।)
{ सन्दर्भ :-
1. बम्बई गजेटियर, भाग -1 पृष्ट – 128, नोट -4
2. उज्जयिनी इतिहास तथा पुरातत्व, दीक्षित – पृष्ठ – 184 -185 }
5. खुजराहो अभिलेख ( 954 ई. ) :—-
चन्दैल धगं का वि. स . 1011 ( 954 ई ) का खुजराहो शिलालैख सख्या -2 मे चन्देल राजा को मरु-सज्वरो गुर्जराणाम के विशेषण से सम्बोधित किया है ।
( मरू-सज्वरो गुर्जराणाम )
{ एपिग्राफिक इडिका – 1 पृष्ठ -112- 116 }
6. गोहखा अभिलेख :–
चैदिराजा कर्ण का गोहखा अभिलैख मे गुर्जर राजा को चेदीराजालक्ष्मणराजदैव दवारा पराजित करने का उल्लेख किया गया हे ।
( बगांल भगं निपुण परिभूत पाण्डयो लाटेरा लुण्ठन पटुज्जिर्जत गुज्जॆरेन्द्र ।
काश्मीर वीर मुकुटाचित पादपीठ स्तेषु क्रमाद जनि लक्ष्मणराजदैव )
{ सन्दर्भ :- 1. एपिग्राफिक इडिका – 11 – पृष्ठ – 142
2. कार्पस जिल्द – 4 पृष्ठ -256, श्लोक – 8 }
7. बादाल स्तम्भ लैख:–
नारायण पाल का बादाल सत्म्भ लैख के श्लोक संख्या 13 के अनुसार गुर्जर राजा राम भद्रदैव ( गुर्जर – नाथ) के समय दैवपाल ने गुर्जर- प्रतिहार के कुछ प्रदेश पर अधिकार कर लिया था ।
( उत्कीलितोत्कल कुलम हत हूण गर्व खव्वीकृत द्रविड गुर्जर-नाथ दप्पर्म )
{ सन्दर्भ :–एपिग्राफिक इडिका – 2 पृष्ठ – 160 – श्लोक – 13 }
8. राजोरगढ अभिलेख ( 960 ई. ) :–
गुजॆर राजा मथन दैव का वि. स. ( 960 ई ) का राजोर गढ ( राज्यपुर ) अभिलेख मे महाराज सावट के पुत्र गुर्जर प्रतिहार मथनदैव को गुर्जर वंश शिरोमणी तथा समस्त जोतने योग्य भूमि गुर्जर किसानो के अधीन उल्लेखित है ।
( श्री राज्यपुराव सिथ्तो महाराजाधिराज परमैश्वर श्री मथनदैवो महाराजाधिरात श्री सावट सूनुग्गुज्जॆर प्रतिहारान्वय …… स्तथैवैतत्प्रतयासन्न श्री गुज्जॆर वाहित समस्त क्षैत्र समेतश्च )
क्षत्रिय ब्राह्मणों की नाजायज संताने हैं| पुराणों में सब झूठ लिखा है कौरव, पांडव, कृष्ण, राम आदि कोई भी क्षत्रिय नहीं थे| क्षत्रिय शब्द का जन्म ही 7 वीं शताब्दी ईसापूर्व हुआ था, जो राजपूतों की उत्पत्ति के 6 वीं शताब्दी में दृष्टव्य होती है| जाट मूलतः मलेक्श जाति के हैं| राजपूत : मलेक्ष, यवन, यहूदी, जाट, गुज्जर, अहीर, गडेरिया, पासी, कोल आदि जातियों के राजपूती करण के फलस्वरूप दृष्टगत हो रहें हैं। यही प्रथम और अन्तिम सत्य है| रामायण की रचना 4 थीं शताब्दी में हुई थीं। गीता 5 वीं शताब्दी में, अधिकतर पुराण 12 वीं शताब्दी में लिखे गए हैं। भविष्य पुराण तो 18 वीं शताब्दी तक लिखा जाता रहा है।
जवाब देंहटाएंभाई आप ने इतिहास पढ़ा होता तो राजपूत गुज्जर को लड़ाने की जगह एक करते क्योकि राजपूत गुज्जर एक ही हे हे बस अब पहचान अलग है और पृथ्वीराज जी गुज्जरराजपुत दोनों थे
जवाब देंहटाएंGurjar Jaat yadav real kshatriya or khajput only chhatri 🤣🤣🤣
जवाब देंहटाएंDekho sale ek Pakistani ki bat me aake sare bhartiy ladne lage
जवाब देंहटाएंराणा अली हसन चौहान नाम में ही मिलावट है😅😅😅
जवाब देंहटाएं